Too Many Bananas | केले ही केले
कहानी 'केले ही केले'
एक बार की बात है दक्षिण भारत के एक गांव में मुथ्थु अन्ना नाम का एक व्यक्ति रहता था। मुथ्थु अन्ना केले की खेती करता था, क्योंकि वह बहुत मेहनती किसान था इसलिए उसके फार्म में बहुत सारे केले के पेड़ थे जिन पर बेशुमार मीठे-मीठे केले लगते थे।
मुथ्थु अन्ना सारे गांव वालों को बहुत सारे केले बांटता था, लेकिन कुछ समय बाद धीरे-धीरे गांव वालों ने उससे केले लेना कम कर दिया।
उसके परिवार, पड़ोसी, और यहां तक की गांव के छोटे-छोटे व्यापारियों ने भी उससे केले लेना बंद कर दिया। यहां तक कि पशु भी उससे दूर भागने लगे।
सभी लोग उससे हाथ जोड़कर कहते कि “आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अब हम और केले नहीं खा सकते, कृपया हमें माफ़ कीजिए”। ये सब बेचारा मुथ्थु अन्ना सोचने लगा कि अब मैं अपने इतने सारे केले कहां लेकर कहां जाऊंगा इनका क्या करूंगा।
काफी समय सोचने के बाद उसने विचार किया कि अब वह पास शहर के व्यापारिक केंद्र से मदद मांगेगा और यह सोच कर अपने काफ़ी सारे केले गाड़ी में लादकर शहर की तरफ चल दिया।
कुछ दिनों बाद जब मुथ्थु अन्ना वापस अपने घर आया तब वह बहुत खुश दिख रहा था। कुछ ही समय में उसने दोबारा काफी सारे केले इकट्ठे किए और उन्हें गाड़ी में भरकर फिर शहर की तरफ चल दिया।
सभी गांव वाले बड़े ध्यान से उसे देख रहे थे पर उसने किसी को भी अपने केले लेने के लिए नहीं कहा, सभी गांव वाले बड़े हैरान थे और वे सोच रहे थे कि आखिर यह क्या हो रहा है।
उसके परिवार वाले, पड़ोसी, मित्र, तथा गांव के सभी पशु तक भी हैरान थे। गांव के छोटे-छोटे व्यापारी भी उसकी तरफ उत्सुकता की नजर से देख रहे थे और यह सोच रहे थे कि आखिर ये सारे केले जा कहां रहे हैं।
तभी एक दिन मुथ्थु अन्ना के पड़ोसी के घर में एक पूजा का आयोजन था, पंडित ने भगवान के चढ़ावे के लिए 108 केलो का इंतजाम करने के लिए कहा।
पड़ोसी भागा-भागा मुथ्थु अन्ना के पास पहुंचा और अपने दोनों हाथ जोड़कर बोला “मैंने आपके केले लेने से मना किया था उसके लिए मुझे माफ कर दीजिए, अब मुझे कल की पूजा के लिए 108 किलो की जरूरत है। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं”।
मुथ्थु सोचने लगा और कुछ देर बाद बोला “मेरी तो सारी फसल खत्म हो चुकी है, लेकिन फिर भी देखता हूं कि मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं। आप जाइए और अपनी पूजा की तैयारी कीजिए मैं सही समय पर जरूर पहुंच जाऊंगा”।
अगले दिन सुबह पडोसी के घर पूजा शुरू हुई जिसमें सारा गांव इकट्ठा था, पंडित जी बड़े जोर शोर से हवन कर रहे थे।
सभी गांव वाले बड़ी उत्सुकता से मुथ्थु अन्ना के आने का इंतजार कर रहे थे, धीरे-धीरे वह समय भी आ पहुंचा जब भगवान को केलों का प्रसाद लगना था। तभी वहां मुथ्थु आ पहुंचा जो अपने साथ एक बड़ा थैला लेकर आया था।
सभी गांव वाले उसे बड़े ध्यान से देख रहे थे। मुथ्थु अन्ना पुजारी जी के पास पहुंचा और अपने साथ लाए हुए थैले से छोटे-छोटे पैकेट निकाल कर बाहर रखने लगा।
धीरे-धीरे उसने कुल 27 पैकेट निकालकर पूजा की जगह पर रख दिए, सभी पैकेट केले के पत्तों में बड़ी सुंदरता से लिपटे हुए थे और सभी पर लिखा था “उत्कृष्ट केला हलवा – मुथ्थु फार्म”।
एक पैकेट पंडित जी को देते हुए कहा मुथ्थु बोला “पंडित जी एक पैकेट में 4 केलों का हलवा है और यहाँ कुल 27 पैकेट है, इस तरह आपके 108 केले पूरे होते हैं”।
पंडित जी यह सुनकर बड़े हैरान और स्तब्द थे, कुछ घड़ी के लिए चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। फिर जैसे ही लोगों को मुथ्थु की बात का मतलब समझ आया तो सबके चहरों पर मुस्कराहट तैर गई, जो कुछ ही पलों में एक मीठी सी हंसी में बदल गयी और यह हंसी बढ़ती गई।
कुछ ही पलों में सभी गांव वाले बड़े जोर जोर से हंसने लगे और तालियां बजाने लगे, अब सभी को पता चल चुका था कि मुथ्थु अन्ना के फार्म के सारे केले कहां जाते हैं और अब वह किसी से भी केले लेने के लिए क्यों नहीं पूछता है।
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