Mendak aur Bail | मेंढक और बैल
कहानी 'मेंढक और बैल'
बहुत पुरानी बात है, एक गांव में एक बहुत बड़ा तालाब था तथा उस तलाब में एक मेंढकी रहती थी। उस मेंढकी के पांच बच्चे थे और मेंढकी के वो पांचो बच्चे बहुत ही नटखट व शरारती थे।
उस तलाब के आसपास बहुत ही सुंदर पेड़ों का एक बगीचा था और मेंढकी के छोटे छोटे पांचो बच्चे उस बगीचे में आकर खेलते थे, वे काफ़ी देर तक बगीचे की नरम घास और सुंदर पेड़ों के आसपास खेलते रहते थे और फिर वापस तालाब में अपने माँ के पास चले जाया करते थे।
वह मेंढकी उस तालाब में अपने बच्चों के साथ बहुत ही खुशी से रह रही थी क्योंकि उस तलाब के आसपास बहुत ही शांति का वातावरण था और वहां अन्य जंगली जानवरों का आवागमन नहीं था इसलिए मेंढकी वहां पर निश्चिंत रहती थी।
उस मेंढकी का बस एक ही काम था खाना-पीना और दिन भर मौज मस्ती करना इसलिए वह अब बहुत मोटी हो गई थी, उसका आकार धीरे धीरे बहुत बड़ा हो गया था। एक दिन मेंढकी के बच्चों ने मेंढकी से कहा “मां हमें भी आपके जितना बड़ा व शक्तिशाली बनना है। आप इतने कठिन काम भी कितनी आसानी से कर लेती हो”।
अपने बच्चों के मुह से यह बात सुनकर तो मेंढकी का अहंकार और चार गुना बढ़ गया और वह बच्चों से बड़े गर्व से कहने लगी “हां मेरे बच्चों, तुम्हारी मां बहुत शक्तिशाली है। इस दुनिया में और कोई भी मेरे बराबर शक्तिशाली नहीं है”। उस मेंढकी ने किसी अन्य जानवर को तो देखा नहीं था इसलिए उसका अहंकार दिन पर दिन उसके आकर से साथ साथ बढ़ता ही जा रहा था।
कुछ दिनों बाद मेंढकी के बच्चों ने तलाब से कुछ दूर जाकर खेलने की इच्छा प्रकट की वे सभी कहने लगे “मां हम यहां तालाब के पास ही इन पेड़ों पर खेल-खेल कर ऊब चुके हैं। देखो मां, तलाब से थोड़ी दूर पर कितने सुंदर पेड़ और उपवन है क्या हम वहां खेल सकते हैं”, क्योंकि बच्चें बहुत दिनों से उपवन में खेलने की जिद कर रहे थे इसलिए इस बार मेंढकी ने उन्हें वहां जाकर खेलने की आज्ञा दे दे जिससे वह पांचो बच्चे खुशी-खुशी वहां खेलने चले जाते हैं।
वहां जाकर वे पांचों छोटे मेंढक बहुत ही मजे से वहां की फूल पत्तियां व अलग-अलग तरह के पेड़ – पौधे सब का मजा ले रहे होते हैं कि तभी उनमें सबसे छोटा मेंढक जो बहुत ही नटखट था खेलते खेलते कुछ और दूर निकल जाता है।
अभी वह वहां पर कुछ ही देर खेला था की वह वहां एक बहुत ही विशालकाय जानवर जो शरीर में उसकी मां से भी बड़ा है बैल को देखता है, वह उसे देख कर बुरी तरह डर और सहम जाता है क्योंकि उसने इससे पहले इतने बड़े शरीर का जानवर नहीं देखा था।
वह अब तक यही सोचता था कि मेरी मां ही सबसे ज्यादा शक्तिशाली व विशालकाय है, वह दौड़ता भागता वापस अन्य मेंढक भाइयों के पास आता है। वह बहुत ज्यादा विस्मित था इसलिए उनको कहता है मैंने आज अभी अभी एक बहुत ही शक्तिशाली जानवर देखा जो शरीर व शक्ति में मां से भी कहीं अधिक शक्तिशाली है।
अन्य मेंढक उसकी इस बात पर विश्वास नहीं करते और कहते हैं “हम नहीं मानते तुम्हारी बात, क्या हमारी मां से से भी ज्यादा शक्तिशाली व विशालकाय कोई जानवर हो सकता है”? इस पर छोटा नटखट मेंढक उन सब को पास ही उस जगहपर लेकर जाता है जहां वह बैल बंधा हुआ था।
जब वह सब मेंढक उस बैल को देखते है तो वह सब मेंढक भी उसे देख कर डर जाते हैं क्योंकि उन्होंने भी उससे पहले इतना बड़ा जानवर कभी नहीं देखा था, डरते हुए फिर वह सब वापस भागते दौड़तें अपनी मां के पास तलाब पर चले जाते हैं।
अगले दिन मेंढकी के बच्चे अपने माँ मेंढकी से कहते हैं “मां कल हमने आप से भी अधिक शक्तिशाली जानवर देखा जो शरीर में आपसे भी बहुत बड़ा था, आप तो उसके सामने बहुत ही छोटी हो”।
लेकिन उनकी मां मेंढकी को बच्चों की कही गयी बातों पर विश्वास नहीं होता क्योंकि उसको तो अपने ऊपर बहुत घमंड था, उसके बच्चे उसे बहुत समझाने की कोशिश करते हैं कि मां हमने सच में आप से भी बड़े और शक्तिशाली जानवर को देखा है।
लेकिन इस पर मेंढकी के घमंड को बहुत ठेस पहुंचती है और मेंढकी उन सब को फिर से भ्रम में डालने के लिए अपने शरीर को फुलाकर बड़ा करना शुरू कर देती है फिर उनसे पूछती है “क्या तुमने इससे भी बड़ा जानवर देखा”, इस पर बच्चे कहते हैं “हां मां हमने आपसे भी बड़ा जानवर देखा”।
बच्चों की यह बात सुन मेंढकी का घमंड चूर चूर हो जाता है लेकिन अभी भी वह आसानी से यह मानने के लिए तैयार ही नहीं होती कि उससे भी विशालकाय कोई जानवर हो सकता है, इस पर उसके बच्चे उसे वह जानवर दिखाने ले जाते हैं जो कि उन्होंने देखा था।
बच्चें उसे पास के उपवन में ले जाते हैं और वहां पर बंधे खड़े बैल को अपनी माँ को दिखाते है जिसे देखकर उसका घमंड बुरी तरह से टूट जाता है व उसके दिल को बड़ी ठेस लगती है क्योंकि वह समझती थी कि दुनियाँ में वही सबसे ज्यादा शक्तिशाली है इसलिए वह अपने बच्चों को छोड़कर किसी अन्य तलाब में चली जाती है क्योंकि वह अपने घमंड के आगे यां स्वीकार करने को तैयार नहीं थी कि उससे शक्तिशाली भी कोई हो सकता है।
उसके बच्चे बहुत परेशान होते हैं और अपनी माँ मेंढकी को आस पास बहुत ढूंढते हैं, फिर वह छोटे छोटे बच्चे रोते बिलखते अपने तालाब के पास आकर बैठ जाते हैं। वहीं पर एक तितली यह सब कुछ देख रही थी, वह बच्चों को समझाती है “बच्चों परेशान मत हो, तुम्हारी मां का घमंड बहुत बड़ा था और वह तुम्हारे सामने यह स्वीकार नहीं कर पाई कि उससे भी बड़ा कोई और हो सकता है।“
वह उन्हें दिलासा देते हुए कहती है “परेशान मत हो बच्चों जब मेंडकी को अपनी शक्ति व काबिलियत का अंदाजा हो जाएगा तो वह स्वयं तालाब में वापस आ जाएगी, अभी तुम्हारी मां मेंढकी अनुचित तुलना कर रही है कि वह सबसे आधिक शक्तिशाली है”।
कुछ दिन बीतने के बाद बिलकुल ऐसा ही हुआ, जब मेंढकी को अपने बच्चों की याद आती है और अब उसे इस बात का विश्वास भी हो चुका था कि वह सबसे शक्तिशाली नहीं है। वह वापस अपने बच्चों के पास उसी तालाब में आ जाती है और उस तालाब में खुशी खुशी अपने बच्चों के साथ रहती है।
अब वह मेंढकी बच्चों को भी यही शिक्षा देती है कि हमें अनुचित तुलना में नहीं पड़ना चाहिए, संसार में कभी भी और कोई हमसे भी बेहतर हो सकता है जिसे हमे सहर्षता से स्वीकार करना चाहिए।
‘मेंढक और बैल’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर : मेंढकी को अहंकार था कि वह सबसे ज्यादा शक्तिशाली है, संसार में उससे अधिक शक्तिशाली और कोई नहीं है।
उत्तर : मेंढकी के बच्चें जब कुछ दूर खेलने गए तो उन्होंने एक बहुत ही विशालकाय जानवर देखा जो उनकी माँ से भी अधिक विशाल और ताकतवर था उस जानवर को देख कर वे सब बहुत डर गए थे।
उत्तर : मेंढकी के बच्चों ने तलाब पर आ कर मेंढकी से कहा ‘माँ हमने आज आपसे भी अधिक विशालकाय और शक्तिशाली जानवर को देखा’।
उत्तर : मेंढकी को अपने ऊपर बहुत घमंड था की वह सबसे अधिक शक्तिशाली और विशालकाय है, जब बच्चों ने मेंढकी से अधिक शक्तिशाली जानवर को देखा और उस जानवर के बारे में मेंढकी को बताया तो इस सच्चाई को मेंढकी बर्दास्त नहीं कर पाई इसलिए वह अपने बच्चों को अकेला तलाब में छोड़कर दुसरे तलाब में चली गई।
उत्तर : इस मज़ेदार कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अनुचित तुलना में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि भगवान ने सबको महत्वपूर्ण बनाया है। संसार में कभी और कोई भी हमसे बेहतर हो सकता है जिसे हमे सहर्षता से स्वीकार करना चाहिए और सबका सम्मान करना चाहिए।
Related links
- Short Stories in Hindi
- Folktales in Hindi
- Animal Stories in Hindi
- Fairy Tales in Hindi
- Mythological Stories in Hindi
- Panchatantra Stories in Hindi
- Tenali Raman Stories in Hindi
Categories
- Short Stories
- Folktales
- Animal Stories
- Fairy Tales
- Mythological Stories
- Panchatantra Stories
- Tenali Raman Stories
Other popular stories
Other related keywords and search's
- mendhak aur bail kahani
- Frog and the Ox in Hindi
- Frog and the Ox kahani in hindi lyrics
- Mendak aur Bail of Bal Kahani
- mendak aur bail story in hindi
- mendak aur bail story in english
- mendak aur bail ki kahani in hindi lyrics
- mendak aur bail story in hindi with moral
- mendak aur bail ki kahani in written
- mendak aur bail ki kahani hindi mein
- mendak aur bail story pdf
- mendak aur bail printable story
- mendak aur bail laghu katha
- mendak aur bail hindi lyrics written
- mendak aur bail for small children's
- mendak aur bail for nursery kids
- mendak aur bail kahani ki shiksha
- मेंढक और बैल की कहानी सुनाओ
- मेंढक और बैल सबसे बड़ा कौन
- मेंढक और बैल की कहानी
- मेंढक और बैल की अभिमान पर कहानी
- कहानी बैल बड़ा या मेंढक
- मेंढक और बैल की मजेदार कहानी
- मेंढक और बैल की कहानी हिंदी में लिखी हुई
- मेंढक और बैल की कहानी की शिक्षा
- मेंढक और बैल की कहानी बच्चों के लिए
- मेंढक और बैल की कहानी इन हिंदी
- mendak aur bail short story
- mendak aur bail kahani sunaiye
- mendak aur bail full story written
- mendak aur bail tale in hindi written
- mendak aur bail ki kahani pdf
- mendak aur bail ki kahani batana
- mendak aur bail story question answers
- mendak aur bail ki kahani bataiye