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Futa Ghada

Futa Ghada | फूटा घड़ा

कहानी 'फूटा घड़ा'

एक गांव में रामा नाम का एक किसान रहता था जो बहुत ही मेहनती था। उसके पास दो घड़े थे जिनसे वह रोज अपने घर के लिए पानी भरकर लाया करता था, उनमें घड़ों में से एक घड़ा थोड़ा फूटा हुआ था

जब वह किसान रोज उन घड़ों में पानी भरकर लाया करता था तो जो टूटा हुआ घड़ा था उसमें घर पहुंचते-पहुंचते पानी आधा ही रह जाता था

रोज-रोज यही होता हुआ देख कर एक दिन सही घड़े ने टूटे हुए घड़े से कहा ‘तू तो हमारे मालिक के लिए बहुत ही नुकसान का सौदा है क्योंकि तू मालिक की मेहनत को रोज़ाना बेकार करता है, मालिक जब तुझे भरकर लाते हैं और जब तक घर पहुंचते हैं तुझमें भरा हुआ पानी आधा ही रह जाता है जिससे मालिक को बहुत नुकसान होता है’।

अपने साथी की बातों को सुनकर फूटा हुआ घड़ा बहुत परेशान हुआ और रोने लगा, सही घड़ा यह कह-कह कर फूटे घड़े को शर्मिंदा करता रहता था और खुद पर बहुत ही घमंड करता था कि मैं मालिक के बहुत ही काम आता हूं क्योंकि मैं मालिक की बहुत मदद करता हूं।

दोनों घड़ों के बीच होती यह सब बातें उनका मालिक रामा सुन रहा था, जब रामा ने फूटे घड़े को परेशान व रोते हुए देखा तो वह उससे कहने लगा ‘तुम क्यों परेशान हो रहे हो, मेरे लिए तो तुम भी उतने ही महत्वपूर्ण व जरूरी हो जितना कि यह सही घड़ा’।

रामा उससे आगे कहता है ‘जब मैं सुबह तुम दोनों घड़ों से पानी लाता हूं तो तुम्हारे फूटे होने के कारण जिस रास्ते से मैं पानी लाता हूं उस रास्ते के जिस तरफ तुम होते हो पानी अपने आप ही लग जाता है जिसकी वजह से उस तरफ के रास्ते पर फूल उग रहे हैं, उन्हीं फूलों के कारण मुझे धन कमाने का एक नायाब तरीका मिला जिससे मैं बहुत खुश हूँ’।

अपने मालिक की यह बातें सुनकर दोनों घड़े बहुत ही हैरान थे, उनके लिए अपने मालिक की कही बातों पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा था। रामा उनसे आगे कहता है ‘अब तो मैंने अपने सभी खेतों में फसलों के बीच ठीक इसी तरह से फूल उगाकर और उन फूलों को बेचकर कुछ मुनाफा कमाना भी शुरू कर दिया है’।

रामा फूटे हुए घड़े पर बड़े प्यार से हाथ फेरते हुए कहता है ‘भला तुम क्यों परेशान होते हो, तुम्हारे फूटे होने के कारण ही तो मुझे यह अनुभव हुआ कि कैसे थोड़े से पाने के इस्तेमाल से किनारे-किनारे सारे खेतो में फूल लगाए जाएं और उन फूलों से धन कमाया जाए’।

अपने मालिक की बातों को सुनकर फूटा हुआ घड़ा अब निश्चिंत हो गया था, रामा ने उससे कहा ‘ आज से तुम अपने आप को कैसे भी किसी से कम मत समझना क्योंकि तुमने भी मेरी इतनी ही मदद की है जितने की एक सही घड़े ने की है, बल्कि तुम्हारी इसी कमी की वजह से ही मुझे यह नई दिशा मिली है’।

दो घड़ों की इस मज़ेदार कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी को उसकी किसी कमजोरी की वजह से कम नहीं समझना चाहिए और ना ही किसी का बेवजह मजाक बनाना चाहिए ।

‘फूटा घड़ा’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर : कहानी ‘फूटा घड़ा’ दो घड़ो पर आधारित है जिसमें एक किसान के दो घड़ो में से एक फूटा हुआ था।

उत्तर : इस कहानी में दो घड़ो की आपस में वार्तालाप को दिखाया गया है कि किस तरह सही घड़ा फूटे हुए घड़े से कहता है कि ‘तू तो हमारे मालिक के लिए बहुत ही नुकसान का सौदा है’ और यह सुन किस प्रकार फूटा घड़ा दुखी हो जाता है फिर यह सब बाते सुन कर मालिक फूटे हुए घड़े के महत्व को दर्शाता है जिसे सुन कर फूटा घड़ा भी बहुत खुश होता है।

उत्तर : सही घड़े को अपने ऊपर बहुत ही घमंड था जिससे वह फूटे घड़े से कहता है ‘तू तो मालिक के लिए बड़े ही घाटे का सौदा है क्योंकि मालिक जब तुझे भरकर लाते हैं और जब तक घर पहुंचते हैं तुझमें भरा हुआ पानी आधा ही रह जाता है और इस तरह तू मालिक की मेहनत को रोज़ाना बेकार करता है’।

उत्तर : मालिक फूटे हुए घड़े को रोते हुए देख कर उससे कहने लगा ‘तुम परेशान मत हो मेरे लिए तो तुम भी उतने ही महत्वपूर्ण व जरूरी हो जितना कि यह सही घड़ा क्योंकि जब मैं सुबह तुम दोनों घड़ों से पानी लाता हूं तो तुम्हारे फूटे होने के कारण जिस रास्ते से मैं पानी लाता हूं उस रास्ते के जिस तरफ तुम होते हो पानी अपने आप ही लग जाता है जिसकी वजह से उस तरफ के रास्ते पर फूल उग रहे हैं, उन्हीं फूलों के कारण मुझे धन कमाने का एक नायाब तरीका मिला जिससे मैं बहुत खुश हूँ।

उत्तर : इस प्रेरणात्मक कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी की कमजोरी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए और न ही किसी को कम आकना चाहिए। जैसे उस फूटे हुए घड़े के कारण अनजाने मे ही खेत के एक तरफ पानी लगने से फूलों का उगना और फिर किसान को उन फूलों से लाभ होना, जबकि सही घड़ा अपने आप पर घमंड कर रहा था कि मालिक की असली सहायता तो में ही करता हु जबकि मालिक के लिए दोनों ही महत्वपूर्ण थे।

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