Garib ka Janamdin | गरीब का जन्मदिन
कहानी 'गरीब का जन्मदिन'
श्याम एक गरीब मजदूर था जो मजदूरी करके अपना घर चलाता था, उसके परिवार में उसकी पत्नी माला और एक बेटी काजल थी।
श्याम बहुत मेहनत करके अपना घर चलाता था और उसकी पत्नी माला भी बहुत ही ईमानदार थी, वह बहुत ही समझदारी से अपना घर चला रही थी।
उनकी बेटी काजल भी पढ़ाई में बहुत अच्छी थी, कुछ ही समय बाद उसके स्कूल में परीक्षाएं शुरू होने वाली थी इसलिए उसने अपने पिता से पूछा ’पिताजी मेरे स्कूल में परीक्षा शुरू होने वाली है अगर मैं इस बार प्रथम आई तो आप मुझे क्या इनाम देंगे’।
इस पर श्याम बड़े उत्साह से अपनी बेटी से बोला ‘अगर मेरी होनहार बेटी इस बार भी कक्षा में प्रथम आई तो मैं तुम्हें घुमाने बाहर लेकर जाऊंगा और तुम्हें तुम्हारी पसंद का खाना भी खिलाऊंगा’।
अपने पिता की यह बात सुनकर काजल बहुत खुश हो जाती है, तभी वहां माला आती है और धीरे से अपने पति से कहती है ‘वाह जी वाह, हमारा गुजारा तो मुश्किल से चलता है और आप भी क्या आस लगाते हो बच्ची को, अगर हम इसे बाहर नहीं लेजा पाए तो बेचारी बहुत दुखी होगी’।
अपनी पत्नी की यह बात सुनकर श्याम थोड़ा मुस्कुरा उससे कहता है ‘मैंने कुछ पैसे जोड़ रखे हैं और आजकल मजदूरी भी अच्छी मिल रही है देखते हैं आगे क्या होता है’।
श्याम को आजकल अच्छा काम मिल रहा था और वह रोज ओवरटाइम करके भी अधिक पैसे कमाने लगा था, जिस ठेकेदार के पास वह काम करता था उसे उसका काम काफ़ी पसंद आ रहा था, अब उसके पास करीब ₹3000 इकट्ठे हो गए थे।
ऐसे ही दिन बीतते गए और काजल की परीक्षाएं धीरे-धीरे समाप्त हो गयी थी, उसके सभी पेपर काफ़ी अच्छे हुए थे।
कुछ और दिनों के बीतने पर काजल के स्कूल में परीक्षाओं के रिजल्ट घोषित होने का दिन भी नजदीक आ पहुँचा, फिर एक दिन काजल अपने विद्यालय से दौड़ी – दौड़ी घर आती है और वह बहुत ही खुश दिखाई दे रही थी क्योंकि एक बार फिर कक्षा में उसका प्रथम स्थान आया था।
उसके यह बात बताते ही उसके माता- पिता ने खुशी से उसे गले से लगा लिया, एक और बात जो काजल को बहुत खुश कर रही थी वह यह थी कि अगले दिन उसका जन्मदिन भी था।
श्याम ने काजल से कहा ‘मेरी प्यारी बेटी कल तुम्हारा जन्मदिन भी है और कक्षा में तुम्हारा प्रथम स्थान भी आ गया, जैसा कि मैंने तुमसे कहा था हम कल बाहर घूमने जाएंगे और होटल पर खाना भी खाएंगे’।
अगले दिन काजल सुबह –सवेरे ही उठ जाती है, आज वह बड़ी खुश थी क्योंकि आज उसका जन्मदिन जो था। दोपहर बाद वह अपने माता-पिता के साथ अच्छी तरह तैयार होकर बाहर घूमने के लिए जाती है, श्याम के जेब में ₹3000 थे जो उसने अपनी बेटी के जन्मदिन पर खर्च करने के लिए रख रखे थे।
वे सब खुशी-खुशी बाजार में घूमने गए और उन्होंने अपनी बेटी के लिए काफी सारी चीजें ख़रीदी जिसमे उनके ₹2500 खर्च हो गए, अब बाकी ₹500 रुपए लेकर वह एक अच्छे से होटल में खाना खाने के लिए गए लेकिन पैसे कम होने की बात केवल श्याम को ही पता थी।
खाली टेबल देखकर वह सब वहां जाकर बैठ जाते हैं तभी एक होटल का वेटर उनके पास आता है और खाने का मेनू कार्ड देकर चला जाता है, मेनू कार्ड में खाने की चीजों का मूल्य देखकर श्याम हैरान रह जाता है।
एक बार वह सोचता है कि अपनी बेटी और पत्नी से बोल दे कि ‘चलो कहीं और चल कर खाना खाते हैं’, लेकिन अपनी बेटी के चहरे की खुशी को देख कर वह ऐसा करने से ठिठक जाता है और फिर उन दोनों से पूछता है कि उन्हें क्या खाना है।
वह दोनों ही डोसा खाने की इच्छा रखती थी, जब श्याम मेनू कार्ड में डोसे का मूल्य देखता है तब उसे पता चलता है कि एक बड़ा डोसा ₹200 का है, श्याम धीरे से अपनी जेब टटोलता है जिसमें कुल मिलाकर ₹500 थे और अभी खाना खाने के बाद उन्हें वापस घर भी लौटना था।
श्याम धीरे से वेटर की ओर इशारा करता है और उसे दो डोसे लाने के लिए कहता है, यह देखकर उसकी बेटी काजल उससे कहती है ‘यह क्या पापा आपने दो ही डोसे क्यों मंगाए हैं, आप अपने लिए क्या मंगा रहे हो’।
काजल की यह बात सुनकर श्याम थोड़ा अनमना सा मुंह बनाकर उससे कहता है ‘आज मेरे पेट में सुबह से हल्का हल्का दर्द हो रहा है, तुम दोनों खाओ मैं अपने लिए कुछ हल्का-फुल्का खाना ढूंढता हूं’।
वह थोड़ा बहाना करके होटल में घूमकर आता है और उनसे कहता है ‘यहां से जब हम बाहर जाएंगे तो कुछ ना कुछ मेरे लिए भी मिल ही जाएगा यहां तो ऐसा कुछ नहीं दिख रहा’।
उसकी पत्नी और बेटी उससे कुछ ना कुछ लेने के लिए कहती रहती हैं लेकिन श्याम बड़ी समझदारी से उन्हें समझा देता है, फिर वह कुछ और बात शुरू कर देता है जिससे वह दोनों उसके ऊपर खाने के लिए ज्यादा दबाव ना बनाएं।
श्याम की यह समझदारी और चालाकी अपनी पत्नी और बेटी को समझाने के लिए तो काफी थी लेकिन ठीक उसके पीछे बैठे एक शख्स ने उसकी सब बात जान ली थी, उस शख्स का नाम केशव था और वह अपने खाने का इंतजार कर रहा था कि तभी अनायास ही उसके सामने यह घटना घट गई।
केशव को यह सब देख कर श्याम से बहुत सहानुभूति होती है, कुछ सोच कर वह चुपचाप धीरे से उठता है और रेस्टोरेंट के काउंटर पर पहुंचता है।
वह वहां जाकर एक डोसा आर्डर करता है और उसे शाम की टेबल पर सर्व करने के लिए कहता है, उसकी यह बात सुनकर वही पास खड़ा मैनेजर हैरानी से उससे पूछता है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है।
केशव से सारी बात जानने के बाद मैनेजर उससे आर्डर किए गए डोसे की कीमत लेने से मना कर देता है और कहता है ‘केशव मैं आपकी नेक सोच और समझदारी की कद्र करता हूं, आप फ़िक्र ना करें हम उस परिवार की बच्ची का जन्मदिन अच्छे तरीके से मनाएंगे’।
कुछ ही देर में मैनेजर एक वेटर के साथ श्याम की टेबल पर पहुंचता है और उससे कहता है ‘सर आप हमारे लकी कस्टमर है और आपने जो आर्डर किया वह हमारे रेस्टोरेंट का लकी नंबर है, इस वजह से हम आपसे इस आर्डर के पैसे नहीं लेंगे और साथ ही अगर आप कुछ और भी खाना चाहे तो वह भी ले सकते हैं।
मैनेजर की यह बात सुनकर श्याम हैरान रह गया, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले लेकिन फिर भी हिम्मत करके वह बोला ‘भाई साहब आज हमारी बेटी का जन्मदिन है इसीलिए हम खाना खाने आए थे, हमारे लिए तो यही बड़ी बात है कि आप हमसे हमारे खाने के पैसे नहीं लेंगे’।
तभी मौका देखकर वहां पास खड़ा केशव धीरे से मैनेजर के पास आकर बोलता है ‘अरे मैनेजर साहब क्या बात है, आज तो आपके लक्की कस्टमर की बेटी का जन्मदिन भी है ऐसा मौका बार बार नहीं आता’।
केशव की बात से प्रोत्साहित होकर मैनेजर खुशी उससे से बोला ‘सही बात कह रहे हैं आप, बच्ची का जन्मदिन तो हम सभी मिलकर मनाएंगे और केक भी काटेंगे, उनकी बातें सुनकर श्याम का परिवार हैरान था और उन्हें बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें या करें।
कुछ ही पलों में उनकी टेबल पर एक छोटा सा सुंदर केक आ चुका था और होटल के मैनेजर ने अपने कुछ स्टाफ को भी वहां बुला लिया था, सभी लोग काजल को उसके जन्मदिन की बधाइयां दे रहे थे और काजल झिझकते हुए उनके अभिवादन स्वीकार कर रही थी श्याम और उसकी पत्नी की आंखों में खुशी के आंसू थे।
सभी लोगों ने मिलकर खुशी-खुशी काजल के हाथों से केक कटवाया और आपस में मिल बांट कर खाया, काजल की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि आज पहली बार उस पर जन्मदिन पर केक आया था।
इसके बाद मैनेजर ने उनकी टेबल पर तीन डोसे और खाने का कुछ और सामान भी भिजवा दिया जो उन्होंने बड़े ही चाव के साथ खाया, खाना खाने के बाद जब वह सब जाने लगे तब मैनेजर ने काजल के हाथों में चोकलेट का पैकेट देकर उसे विदा किया।
श्याम और उसका परिवार खुशी – खुशी अपने घर की ओर चल दिया, शायद आज का दिन उनकी जिंदगी के उन सबसे हसीन दिनों में से एक था जिसने उनके दिलों को बहुत खुशी दी थी।
वहीं दूसरी ओर उन सब को खुशी से जाते हुए देखकर केशव और होटल का मैनेजर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे क्योंकि आज की इस घटना ने उनके दिलों को भी जो खुशी दी थी उसे बयान करना उनके लिए भी बहुत मुश्किल था।
यह एक ऐसा अनमोल एहसास था जो उनके दिलों के साथ-साथ उनकी आत्मा की गहराइयों को भी छू गया था, वो ये सोचकर आत्मविभोर थे की कैसे उनके द्वारा किया गया एक छोटा सा नेक काम किसी दूसरे को कितनी खुशी दे सकता है।
इस कहानी में यह बताया गया है कि हमें अपने आसपास के जरूरतमंद लोगों की हर संभव मदद करनी चाहिए क्योंकि हमारे द्वारा की गई थोड़ी सी मदद भी उनके लिए बहुत बड़ी खुशी का कारण बन सकती है, इससे ना केवल उनकी सहायता होती है बल्कि साथ ही साथ हमें भी ऐसे सुखद एहसास का अनुभव होता है जो अकल्पनीय है।
‘गरीब का जन्मदिन’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर : श्याम ने अपनी बेटी काजल से वादा किया था कि अगर तुम इस बार भी कक्षा में प्रथम आई तो मैं तुम्हें घुमाने बाहर लेकर जाऊंगा और तुम्हें तुम्हारा मनपसंद खाना भी खिलाऊंगा।
उत्तर : जब काजल इस साल भी अपनी कक्षा में प्रथम आयी तो श्याम उसे बाहर घुमाने ले गया जहाँ उसने पहले तो काजल को खरीदारी कराई और फिर वादे के अनुसार वह उसको उसका मनपसंद खाना खिलाने एक होटल में भी ले गया।
उत्तर : श्याम के पास वाली टेबल पर एक आदमी बैठा हुआ था वह सब देख रहा था की श्याम ने अपने लिए डोसा नहीं मंगाया क्योंकि उसके पास केवल 500 ही रुपए शेष थे इसलिए उस आदमी को दया आ गई और उसने श्याम के लिए डोसा आर्डर कर दिया।
उत्तर : दूसरे आदमी को आर्डर करते देख होटल के मैनेजर ने उससे पूछा कि ‘आप श्याम के लिए आर्डर क्यों कर रहे हो’, इस पर उस आदमी ने जब सारी बात बताई तो मैनेजर कहने लगा ‘आपको इस डोसे के पैसे देने की ज़रूरत नहीं है, अगर एसी बात है तो यह डोसा होटल की तरफ से काजल के जन्मदिन का उपहार है जो श्याम को दे दिया जायेगा आप फ़िक्र न करे’।
उत्तर : जब मैनेजर को पता चला आज काजल का जन्मदिन है तो मैनेजर ने उसके लिए केक मंगवा दिया और सभी स्टाफ के सामने बड़े ही ख़ुशी से काजल से केक कटवाया, केक काटने के बाद उनके टेबल पर तीन डोसे भी भिजवा दिये जिनको उन्होंने बड़े चाव से खाया। जब वे घर जाने लगे तो मैनेजर ने काजल को एक चाकलेट का डिब्बा उपहार में भी दिया।
उत्तर : इस मज़ेदार व भावनात्मक कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा ज़रूरत मंदों की मदद करनी चाहिए क्योंकि हमारे द्वारा की गई थोड़ी सी मदद भी किसी के लिए खुशियों का खज़ाना बन सकती है। हमें जहां मौका मिले वहीं परेशानी में घिरे लोगों की ख़ुशी के लिए प्रयास करते रहना चाहिए क्योंकि दूसरों की मदद का एहसास ही अलौकिक होता है।
Related links
- Short Stories in Hindi
- Folktales in Hindi
- Animal Stories in Hindi
- Fairy Tales in Hindi
- Mythological Stories in Hindi
- Panchatantra Stories in Hindi
- Tenali Raman Stories in Hindi
Categories
- Short Stories
- Folktales
- Animal Stories
- Fairy Tales
- Mythological Stories
- Panchatantra Stories
- Tenali Raman Stories
Other popular stories
Other related keywords and search's
- Garib ka birthday ki kahani in written
- Garib ka birthday ki kahani in hindi lyrics
- Garib ka birthday story in hindi pdf
- Garib ka Janamdin ki kahani in written
- Garib ka Janamdin kahani in hindi with moral
- Garib ka Janamdin ki kahani hindi mein
- Garib ka Janamdin ki kahani english
- Garib ka Janamdin story in english mein
- Garib ka Janamdin story lyrics pdf
- Garib ka Janamdin story with moral
- Garib ka Janamdin story in hindi
- Garib ka Janamdin kahani ki shiksha
- Garib ka Janamdin story in hindi with moral
- Garib ka Janamdin ki kahani batana
- Garib ka Janamdin ki kahani in written
- Garib ka Janamdin printable story
- Garib ka Janamdin laghu katha
- Garib ka Janamdin tale in hindi
- Garib ka Janamdin hindi lyrics written
- Garib ka Janamdin for small children's
- Garib ka Janamdin for nursery kids
- गरीब का जन्मदिन और मजबूरी की कहानी
- गरीब का जन्मदिन और संस्कार की हिंदी कहानी
- गरीब का बर्थडे हिंदी कहानी
- गरीब का जन्मदिन की कहानी pdf
- गरीब का जन्मदिन की मजेदार कहानी
- गरीब का जन्मदिन की कहानी हिंदी में लिखी हुई
- गरीब का जन्मदिन की कहानी की शिक्षा
- गरीब का जन्मदिन की कहानी बच्चों के लिए
- गरीब का जन्मदिन की कहानी बच्चों वाली
- गरीब का जन्मदिन की कहानी Short story
- Garib ka Janamdin kahani sunaiye
- Garib ka Janamdin full story written
- Garib ka Janamdin story question answers
- Garib ka Janamdin ki kahani bataiye
- Garib ka Janamdin par kahani
- Garib ka Janamdin ki bal kahani