Garib ki Beti | गरीब की बेटी
कहानी 'गरीब की बेटी'
एक बार की बात है, एक गरीब लड़की रीना व उसकी मां लक्ष्मी सड़क पर जा रहे थे। वह अपने गांव से काफ़ी दूर पहली बार इस शहर में आए थे, कुछ आगे आकर वह दोनों एक चाय वाले की दुकान पर रुक गई।
कुछ पल यहाँ – वहां देखने के बाद लड़की की माँ लक्ष्मी दुकान वाले के पास पहुची और उससे कहने लगी ‘भैया हम आज ही सोनापुर गांव से आए हैं, हमारा इस शहर में कोई भी नहीं है क्या आप मुझे अपनी दूकान में कुछ काम दे सकते हैं जिससे मैं अपनी बच्ची का पेट भर सकूं’।
इस पर चाय की दुकान वाला कहने लगा ‘बहन मेरे पास तुम्हारे लिए कोई बड़ा काम नहीं है और ना ही मैं तुम्हें इतने पैसे दे पाऊंगा’। इस पर लक्ष्मी कहने लगी ‘भैया मुझे पैसे की जरूरत नहीं है, मैं आपके बर्तन भी मांज लूंगी बस आप उसके बदले में मुझे इतना खाना दे देना कि जिससे मेरी बच्ची का पेट भर सके’।
दुकान वाला कहने लगा ‘ठीक है बहन लेकिन तुम रहोगी कहां’, इस पर वह बड़ी मायूसी से कहने लगी ‘भैया मेरा इस दुनिया में कोई नहीं रहा क्योंकि रीना के पिता का देहांत हो गया है जिसके बाद मेरे ससुराल वालों ने मुझे और मेरी बेटी को धक्के मार कर घर से बाहर कर दिया है’।
वह बोली “अब तो मुझे ही अपनी इस बच्ची को पालने के लिए कुछ ना कुछ काम करना पड़ेगा, आपको मंजूर हो तो मैं आपकी इस दुकान में ही सो जाऊंगी, सुबह जब तक आप अपने घर से आएंगे तब तक मैं आपकी दुकान में झाड़ू – पोंछा व बर्तन साफ कर दिया करूंगी इसके बदले में आप बस मेरी बेटी को कुछ खाने को दे दिया करना’।
लक्ष्मी की ऐसी बातें सुन कर चाय वाले का मन पिघल गया और उसने लक्ष्मी की बात मान ली। दोनों माँ – बेटी वहीं दुकान में रहने लगी और काम करने लगी, ऐसे ही उनका समय बीतने लगा।
एक दिन चायवाला उससे कहने लगा ‘बहन मैं तुम्हारे लिए पास के कारखाने में बात करूँगा जिसमें मेरी चाय जाती है, उसके मालिक का स्वभाव बहुत अच्छा है। उनके पास तुम्हारे लिए कोई काम होगा तो वह तुम्हें अवश्य ही काम देंगे जिससे तुम्हें व तुम्हारी बेटी को एक अच्छा ठिकाना मिल जाएगा’।
यह कह कर चाय की दुकान वाले भैया ने जब कारखाने के मालिक से उन दोनों के बारे में बात की तो मालिक ने कहा ‘ठीक है, हमारे घर पर एक काम करने वाली की आवश्यकता है इसलिए तुम उसे हमारे घर भेज देना’।
वह चाय वाला लक्ष्मी व उसकी बेटी को मालिक के घर भेज देता है जहां पर मालिक की पत्नी लक्ष्मी को घर का पूरा काम समझा देती है और साथ में यह भी समझा देती है कि तुम्हारी बेटी रीना मेरी बेटी समायरा से दूर रहें जिससे उसे किसी भी तरह के इन्फेक्शन या बीमारी का खतरा ना रहे।
एक दिन लक्ष्मी रसोई में काम कर रही होती है कि अचानक उसकी बेटी रीना के चीखने की आवाज सुनाई देती है, लक्ष्मी भाग कर वहाँ जाती है तो देखती है रीना ने समायरा की फ्रॉक हाथ में ले रखी है और उसे देखकर बहुत खुश हो रही है।
इतने में मालकिन भी वहां आ जाती है और लक्ष्मी व रीना को डांटने लगती है, वह कहती हैं ‘लक्ष्मी मैंने तुमसे कहा था ना कि समायरा की किसी भी चीज को मत छूना और उससे दूर रहना’, यह कहते हुए मालकिन समायरा की उस फ्रॉक को रीना को ही दे देती है और कहती हैं ‘अब इस फ्रॉक को तुम ही पहनना’ यह कहते हुए गुस्से से यह कहते हुए चली जाती है।
एक दिन मालकिन व लक्ष्मी पास के बाज़ार में सामान खरीदने साथ में जाती हैं और रीना व समायरा घर पर अकेली रह जाती हैं, वह दोनों अलग – अलग खेल रही होती है कि अचानक समायरा को चक्कर आ जाते हैं और समायरा बेहोश हो जाती है।
तभी पास ही खेल रही रीना की नज़र समायरा पर पड़ जाती है और वह भागकर उसके पास पहुँच जाती है, रीना समायरा के ऊपर पानी की बूंदे डालती है जिससे उसे होश आ जाए पर समायरा अपनी आँखे नहीं खोलती। रीना घबराकर बिना देर किये पड़ोस में जाकर शोर मचा कर यह बताती है कि ‘देखो समायरा को पता नहीं क्या हो गया है और वह उठा नहीं रही है’।
उनके पड़ोसी आकर जब घर में देखते हैं तो वह समायरा की हालत देखकर जल्दी से डॉक्टर को बुला लेते हैं, कुछ ही देर में डॉक्टर वहां आ पहुचते है और समायरा को इंजेक्शन लगाते है जिससे वह होश में आ जाती है।
कुछ देर बाद मालकिन व लक्ष्मी भी बाज़ार से लौट आती है और घर पर पड़ोसियों को देखकर घबरा जातीं है, समायरा की हालत देखकर तो मालकिन बहुत ही परेशान हो जातीं है लेकिन डॉक्टर उन्हें दिलासा देतें है की अब वह ठीक है और कुछ दवाइयाँ लिख देते है।
समायरा की मम्मी उसके पापा को भी फोन करके बुला लेती हैं, डॉक्टर उन दोनों को समझाते हैं कि ब्लड प्रेशर लो हो जाने की वजह से समायरा को चक्कर आ गए थे और वह बेहोश हो गयी थी। ऐसे में अगर सही समय समय पर रीना पड़ोस में जाकर लोगों को नहीं बुलाती तो कुछ भी हो सकता था, वह रीना की बहुत तारीफ करते हैं और कहते हैं ‘अगर यह समझदार लड़की यहाँ ना होती तो पता नहीं आज क्या हो जाता’।
डॉक्टर की यह बात सुनकर समायरा के मम्मी पापा बहुत खुश होते हैं और रीना व समायरा को साथ में खेलने की इजाजत दे देते हैं जिससे लक्ष्मी की परेशानी और भी सुलझ जाती है। अब वह खुशी-खुशी मन लगाकर उनके घर में काम करती थी और अब उसे अपनी बच्ची की भी चिंता नहीं रहती थी क्योंकि अब रीना और समायरा सारा समय साथ खेलते रहते थे।
इस प्रकार एक गरीब माँ और उसकी बेटी जिसका कोई सहारा नहीं था उन्हें सहारा मिल जाता है और खुशी-खुशी उसका जीवन व्यतीत होने लगता है, इसलिए हमें कभी भी जीवन की कठिनाइयों के सामने हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और डट कर उनका सामना करना चाहिए।
‘गरीब की बेटी’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर : रीमा के पिता का देहांत होने के उपरांत लक्ष्मी के ससुराल वालो ने रीना व लक्ष्मी को धक्के मार कर घर से निकल दिया इसलिए लक्ष्मी अपनी बेटी रीना को लेकर शहर में काम की तलाश में आयी थी।
उत्तर : रीमा व उसकी माँ लक्ष्मी दुकान वाले के पास पहुची और उससे कहने लगी ‘भैया हम आज ही सोनापुर गांव से आए हैं, हमारा इस शहर में कोई भी नहीं है क्या आप मुझे अपनी दुकान में कुछ काम दे सकते हैं जिससे मैं अपनी बच्ची का पेट भर सकूं’।
उत्तर : चाय वाले ने एक कारखाने के मालिक से लक्ष्मी के लिए काम की बात की तो मालिक ने कहा ‘लक्ष्मी को घर भेज देना, हमारे घर एक कामवाली की आवशयकता हैं’, इस प्रकार चाय वाले ने उनकी काम तलाशने में मदद की।
उत्तर : मालकिन ने रीमा को अपनी बेटी समायरा से दूर रहने को कहा और साथ ही यह भी कहा कि तुम समायरा की कोई चीज़ मत छूना जिससे उसको कोई बीमारी या इन्फेक्शन का खतरा न रहे।
उत्तर : एक दिन लक्ष्मी व मालकिन पास के बाज़ार से कुछ सामान लेने के लिए गए कि अचानक समायरा खेलते वक़्त बेहोश हो गई, उस वक़्त रीमा ही घर में समायरा के साथ मौजूद थी। रीमा ने समायरा को बेहोश देख पड़ोस में शोर मचा दिया जिससे पड़ोसियों ने डॉक्टर को बुला दिया और डॉक्टर ने इंजेक्शन लगा कर समायरा की जान बचाई, इस प्रकार रीमा ने बड़ी ही चतुराई से समायरा की जान बचाई।
उत्तर : समायरा के मम्मी पापा ने रीमा से खुश होकर रीमा को समायरा के साथ खेलने की इज़ाज़त दे दी जिससे लक्ष्मी की परेशानी थोड़ी और कम हो गई, अब लक्ष्मी को अपनी बच्ची की भी चिंता नहीं रहती थी क्योंकि अब रीमा व समायरा साथ-साथ खेलती रहती थी इसलिए लक्ष्मी अब और भी मन लगा कर काम करने लगी।
उत्तर : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीतने के लिए सिर्फ ताकत की नहीं बल्कि उससे ज्यादा समझदारी, लगन व धैर्य की ज़रूरत होती है जिसका सही समय पर सही उपयोग कर हम बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
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