Jiski Lathi Uski Bhains | जिसकी लाठी उसकी भैंस
कहानी 'जिसकी लाठी उसकी भैंस'
एक गॉव में एक दूध बेचने वाला रहता था जो बहुत ही इमानदार था, वह रोज़ सुबह उठ कर अपनी गायों व भैंसों की खूब सेवा किया करता था जिससे उसके सभी पशु भी उससे बहुत खुश रहते थे क्योंकि उन्हें बहुत ही अच्छा आहार व्यवहार मिल रहा था।
वह दूधवाला अपना सारा दूध इकठ्ठा कर रोज पास के गॉव में बेचने जाया करता था, उसका दूध बहुत ही उत्तम होता था इसलिए उसके ग्राहक दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे थे जिसका सबसे बड़ा कारण यही था कि वह अपने पशुओं का बहुत ख्याल रखता था इसलिए वह ह्रष्ठ पुष्ठ होकर दूध भी अधिक ही देती थी।
अब वह दूधवाला आसपास के गावों में भी मशहूर होता जा रहा था क्योकि वह बहुत ईमानदार था इसलिए वह दूध में कभी भी पानी नहीं मिलाता था जिससे उसके ग्राहक बढ़ते ही जा रहे थे, एक दिन जब वह गॉव में दूध बेच रहा था तो बहुत से ग्राहक कहने लगे “भैया हमें भी हमारे जान पहचान वाले बहुत से लोग आपसे दूध लेने की बात करने के लिए कहते रहते है, क्यों नहीं तुम अपने पशुओ की संख्या थोड़ा और बढ़ा लेते जिससे की उन्हें भी तुमसे ही दूध मिल जाया करे”।
उस दिन वह दूधवाला दूध देकर जब अपने घर वापस लौटा तो सोचने लगा की क्यों ना में कल ही एक और भैस खरीद लू जिससे मेरे ग्राहकों को खाली हाथ वापस नहीं जाना पड़ेगा और ऐसा सोच कर वह अगले दिन कुछ पैसे ले कर पास के गाँव गया, उसने वहां पर एक बहुत ही अच्छी नस्ल की भैंस ख़रीदी और उसे लेकर वापस अपने घर की और लौट पड़ा।
रास्ते में छोटा सा सुनसान जंगल पड़ता था और वह दूधवाला अपनी नई भैंस को लेकर उसी रास्ते से वापिस लौट रहा था की तभी अचानक से उसके सामने एक बेढंगा सा आदमी आ खड़ा हुआ जो की एक चोर था, वह चोर उससे कहने लगा “ओ दूधवाले मेरी बात को ध्यान से सुन, मुझे अपनी यह भैंस दे दो नहीं तो में अपने इस डंडे से अभी तुम्हारा सिर फोड़ दूंगा और भैस ले जाऊंगा इससे अच्छा है तुम बिना पिटे ही मुझे अपनी भैस दे दो और यहाँ से चुपचाप चले जाओ”।
दूधवाले ने अपने मन में सोचा “इस चोर से अभी झगड़ने से कोई फायेदा नहीं है, मुझे अपनी अक्ल से काम लेना होगा”, फिर कुछ सोचकर वह उस चोर से बोला “भाई मुझे आपसे पिटने की कोई चाह नहीं है, आप मेरी इस भैंस को अपने साथ ले जा सकते हो। बदले में आप मुझे जो कुछ भी दोगे वो मै खुशी खुशी ले लूंगा”।
दूधवाले की यह बात सुनकर चोर अकड़ते हुए बोला “तेरी इतनी हिम्मत कि तू मुझसे पैसे मांग रहा है”, लेकिन तभी दूधवाला हाथ जोड़कर उससे बोला “अरे नहीं नहीं भाई मै कहाँ आप से पैसे के लिए कह रहा हूँ आप जो भी देंगे वह मै खुशी से ले लूंगा, अगर आप चाहें तो मेरी भेंस के बदले अपने ये डंडा ही दे दीजिये”।
चोर मन ही मन सोचने लगा “क्या अजीब इंसान है, कह रहा है कुछ भी दे दो। मैंने इसकी भैस तो ले ही ली है, चलो इसको ये डंडा तो दे ही देता हूँ, और फिर चोर बेफिक्री के साथ उससे बोला “चल ठीक है, ये ले डंडा और निकल जा यहाँ से”, उसके हाथ से डंडा लेते दूधवाला थोड़ा मुस्कुरा कर बोला “जी हुजूर जैसा आप कहें“।
चोर से यह कहकर दूधवाला चोर का डंडा लेकर वहां से चल पड़ता है और चोर भी उसकी भैंस को खींचकर ले जाने लगता है, लेकिन यह सब उस दूधवाले की एक तरकीब थी उस चोर से निपटने की क्योंकि कुछ ही पलों में वह दूधवाला तेज़ी से उस चोर के आगे आकर उसका रास्ता रोक लेता है।
इस बार चोर कुछ हडबडाकर उसे देखता है और गुस्से से कहता है “तू फिर आ गया मेरे सामने, लगता है की आज तू मुझसे पिटने ही वाला है“, चोर की यह बात सुनकर दूधवाला बेफिक्र हिकार उससे कहता है “पहले तू अच्छी तरह सोच ले फिर मुझे पीटने के बारे में सोचना क्योंकि कहीं ऐसा ना हो मेरी जगह तेरी ही पिटाई हो जाए”।
इतना कहकर दूधवाला अपने हात में मौजूद डंडे को हवा में लहराने लगता है जिससे चोर सारा बदला हुआ नजारा समझ जाता है, वो एकदम से हैरान और परेशान हो जाता है क्योंकि उसे पता था की अब बाज़ी उस दूधवाले के हाथ में आ चुकी है।
दूधवाला उससे बड़े जोश से कहता है “अब तू मेरी भैंस को छोड़कर अभी के अभी यहाँ से भाग जा नहीं तो मै तेरी वो पिटाई करूँगा कि तू चलने फिरने लायक भी नहीं बचेगा, वो डंडे को ऊँचा उठा लेता है जैसे की अभी उस चोर की पिटाई करने ही वाला हो”। उसके ऐसा करते ही अगले ही पल चोर वहां से भाग जाता है जिसे देखकर दूधिया खुश ही जाता है और अपनी भैंस को लेकर लाठी को लहराता हुआ अपने घर की और चल पड़ता है।
अपने घर पहुंचकर उसने नई भैस को ले जाकर अपनी पुरानी गायो तथा भैसों के साथ बांध दिया व चारा पानी खिलाया, अगले दिन से उसने अपने कुछ ग्राहक भी बढ़ा दिए क्योकि उसकी नई भैस भी दो टाइम दूध देने लगी थी।
इस प्रकार इस कहानी में बताया गया है की किस तरह उस दूधवाले ने अपनी भैस को अपनी समझ व लाठी के दम पर एक चोर से छुड़ा लिया और अपने गॉव ले आया।
‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर : दूधवाले के ग्राहक बढ़ते ही जा रहे थे जिसके कारण उसका दूध कम पड़ रहा था, रोज़ कोई न कोई ग्राहक बिना दूध लिए लौट जाता था इसलिए दूधवाले ने एक भैंस और खरीदने का फैसला किया।
उत्तर : दूधवाले को जंगल के रास्ते में एक चोर मिला जो उससे उसकी भैंस को छीनना चाहता था।
उत्तर : दूधवाले ने चोर से कहा अगर तुम्हे मेरी भैंस चाहिए तो ले लो पर इसके बदले में मुझे अपना ये डंडा दे दो जो मैं आराम से अपने घर पहुँच जाऊ।
उत्तर : चोर से डंडा लेकर दूधवाले ने कुछ आगे आकर उस चोर का रास्ता रोक लिया और चोर के आगे आकर बोला ‘तू मेरी भैंस को छोड़कर अभी के अभी यहाँ से भाग जा नहीं तो मैं तेरी वो पिटाई करूँगा कि तू चलने फिरने लायक भी नहीं बचेगा’, उसके ऐसा कहते ही अगले ही पल चोर वहां से भाग जाता है जिसे देखकर दूधिया खुश ही जाता है।
उत्तर : इस मज़ेदार कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए और अपने गुस्से पर काबू रखते हुए परिस्थितियों का सामना करना चाहिए जिस प्रकार दूधवाले ने समझदारी से पहले प्यार से चोर से डंडा माँगा और फिर डंडा मिलते ही उसको अपनी भैस को नहीं ले जाने दिया और हिम्मत दिखाते हुए चोर को डरा कर भगा दिया।
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