Maa ke Jadui Hire | माँ के जादुई हीरे
कहानी 'माँ के जादुई हीरे'
एक समय की बात है कि एक गांव के कस्बे में दो बहने सीमा और रीना अपनी बीमार माँ के साथ रहती थी, दोनों बहने बहुत ही मेहनती थी, वह अपनी माँ की बहुत सेवा करती थी।
एक दिन सीमा अपनी छोटी बहन रीना से कहती है ‘रीना तू माँ को दवा दे दे और थर्मामीटर से उनका बुखार भी नाप लेना, मैं गाय का दूध दोह रही हूं‘। रीना उम्र में सीमा से छोटी थी मगर रीना को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि उसे कोई काम करने का ऑर्डर दे।
वह मन ही मन सोचती है ‘सीमा मुझसे बड़ी है तो क्या हर समय बस आर्डर देती रहती है और खुद दूध निकालने के बहाने आंगन में बैठकर समय बिताती रहती है, अब यहां इतनी सारी दवाइयां रखी हैं इनमे से माँ को कौन सी दवाई दूं, तो क्या मुझे सीमा से पूछना चाहिए”।
कुछ पल सोचकर वह एक कठोर फ़ैसला करती है ‘नहीं मैं इससे बिल्कुल नहीं पूछूंगी कौन सी गोली दूं? चलो यह बड़ी सी पीली गोली दे देती हूं, माँ ने यह बहुत दिन से नहीं खाई’, और रीना अपनी माँ को नींद से उठाकर वह गोली खिला देती है।
वह गोली खाकर कुछ देर बाद माँ की तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगती है क्योंकि रीना अनजाने में गलत दवा दे देती है, यह सब देखकर वह घबराकर सीमा को आवाज लगाती है और कहती है सीमा माँ की तबीयत अब ज्यादा खराब हो रही है।
सीमा के पूछने पर वह झिझकते हुए बताती है कि मैंने यह पीली गोली दी थी जिसके बाद माँ की तबीयत खराब होने लगी, गोली देखकर सीमा निराशा से उससे कहती है ‘यह क्या किया रीना, यह तो तुमने गलत दवा दे दी’।
समय बीतने के साथ – साथ माँ की तबीयत और ज्यादा खराब होती जाती है जिसका अहसास होने पर उनकी माँ अपनी दोनों बेटियों को समझाते हुए कहती है ‘रो मत मेरी प्यारी बेटियों, शायद मेरी जिंदगी में आज का दिन ही आखरी लिखा है और वैसे भी इस बोझ भरी जिंदगी का खत्म हो जाना ही अच्छा है, पर उससे पहले मैं तुम्हें कुछ देना चाहती हूं’।
यह कहकर उनकी माँ उनसे घर के कोने में रखा एक संदूक खोलने को कहती है और फिर उसमे से एक छोटा सुंदर सा डिब्बा निकलवाकर उनके हाथो में रख देती है, तभी उनकी साँसे उखड़ने लगती है और फिर धीरे – धीरे उनका शरीर शांत होने लगता है, उनकी माँ मर चुकी थी।
दोनों बहने बहुत रोती हैं और कहती है ‘अब इस दुनिया में हमारा सहारा कौन है, रीना कहती है माँ माफ कर दो मैंने आपको गलत दवा दे दी जिससे आपकी तबियत इतनी ख़राब हुई, मुझे माफ कर दो माँ’। कुछ देर बाद उनका ध्यान उस सुंदर से डिब्बे की तरफ जाता है जो उनकी माँ उन्हें दे कर गयी थी और फिर वह दोनों उसे खोलकर देखती हैं।
उस डिब्बे से उन्हें एक पत्र और दो पोटली मिलती हैं जिसे निकालकर वह बड़ी उत्सुकता से पढ़ती हैं, पत्र में लिखा था ‘मेरी प्यारी बेटियों, अब शायद मैं इस दुनियाँ में नहीं हूँ और जब तक ये पत्र और पोटलियां तुम्हें मिलेगी तुम्हारी शादी की उम्र हो गई होगी’।
पत्र में आगे लिखा था ‘इन दोनों पोटलियों में चार –चार हीरे हैं जिन्हें लेकर तुम यात्रा पर निकल जाना, रास्ते में तुम्हें जो कोई अच्छा और समझदार युवक शादी योग्य मिले उसे इसमें से एक हीरा दे देना और कहना की अगर वह इसके चार हीरे कर लाएगा तो ही तुम उससे शादी करोगी’।
यह पत्र पढ़ने के पश्चात कुछ दिनों बाद दोनों बहने माँ के कहे अनुसार शहर की यात्रा पर निकल जाती हैं और रास्ते में सीमा को एक लड़का काफ़ी पसंद करता है तो सीमा एक हीरा पोटली में से निकाल कर देती है और उससे बोलती है ‘तुम जब इसके चार हीरे कर लो तो आना और मुझ से दिए गए पते पर आकर शादी कर लेना’।
कुछ आगे जाने पर एक और लड़का मिलता है और रीना से शादी के लिए आकर कहता है, वह भी अपनी बहन की तरह उस लड़के को एक हीरा देती है और कहती है ‘जब इस हीरे से तुम चार हीरे खरीद लो तो मुझसे आकर शादी कर लेना’। इस तरह दोनों बहने चार – चार युवकों को वह हीरे दे देती हैं और उनके हीरे जब खत्म हो जाते हैं तो अपने घर वापस आकर रहने लगती हैं।
जब उनकी इस यात्रा को पूरा एक वर्ष बीत जाता है तो एक दिन रीना अपनी बड़ी बहन सीमा से कहती है ‘दीदी कोई भी लड़का शादी के लिए हीरे लेकर नहीं आया ऐसे तो हम कुंवारी ही रह जाएंगे, माँ ने भी पता नहीं क्या योजना बना दी और इस तरह हमारे हीरे भी चले गए, अब हमारा क्या होगा‘।
इस पर सीमा उसे समझाती है ‘रीना माँ ने जरूर हमारे लिए कुछ अच्छा ही सोचा होगा पर फिर भी अगर तुम्हारा भरोसा डगमगाने लगा है और तुम चाहती हो तो शादी कर सकती हो‘। अपनी बहन की यह बात सुनकर रीना चुप हो जाती है और काम में लग जाती है।
पर फिर कुछ दिन बाद उनमें से एक लड़का वापस आता है और चार हीरे दिखाकर सीमा से शादी के लिए कहता है क्योंकि उसने सीमा को पसंद किया था, कुछ ही दिनों में सीमा की शादी उस युवक से हो जाती है और वह बहुत ही खुश थी।
अपनी बहन सीमा की शादी के बाद रीना बहुत ही घबराने लगती है कि मेरी शादी का क्या होगा लेकिन तभी एक दिन एक लड़का और आता है जिसने रीना को पसंद किया था, अब तो रीना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था और अगले कुछ ही दिनों में उसकी भी शादी हो जाती हैं।
दोनों ही बहनों के पति समझदार और बुद्धिमान थे तथा उन्हें कारोबार की भी अच्छी जानकारी थी, उन्होंने उन दोनों बहनों से कहा की हमने तुम्हारे दिए गए हीरे से आए पैसे को समझदारी से सही जगह निवेश किया और उसी से हमें इतना मुनाफा हुआ।
जब उन्हें सारी बात का पता चलता है तो दोनों ही युवक उनसे कहते है ‘अवश्य ही तुम्हारी माँ बहुत होशियार होंगी जो निवेश की असली ताकत को जानती थी तभी उन्होंने तुमसे ऐसा करने को कहा था’।
यह सब जानकार और समझकर सीमा बड़ी खुश होकर अपनी छोटी बहन रीना से कहती है ‘देखा हमारी माँ कितनी समझदार थी और हमारा कितना भला सोचती थी’, अपनी बहन की बात सुनकर रीना भी सहमती मैं अपना सिर हिलाती है और अपनी बहन के गले लग जाती है। आज दोनों की आखों में खुशी और प्रेम के निश्छल आंसु झलक रहे थे।
‘माँ के जादुई हीरे’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर : रीना ने सीमा से बिना पूछे ही माँ को गलत गोली खिला दी जिसको खा कर माँ की तबियत और ज्यादा बिगड़ने लगी।
उत्तर : माँ ने संदूक में से एक सुन्दर सा डिब्बा निकल कर दोनों बेटियों के हाथ में रख दिया, उस डिब्बे में से एक पत्र व एक पोटली निकली। पोटली में उनकी माँ ने दोनों बहनों के लिए चार-चार हीरे रखे थे।
उत्तर : पत्र में लिखा था ‘मेरे इस दुनिया से जाने के बाद तुम दोनों इस पोटली में से चार – चार हीरे बाँट लेना और अलग अलग दिशा में निकल जाना, रास्ते में तुम्हे जो भी समझदार शादी योग्य युवक मिले उसे एक हीरा देना और कहना, मैं तुमसे शादी तभी करुँगी जब तुम इस एक हीरे से चार हीरे कर लाओगे’।
उत्तर : रीमा व सीमा ने माँ की सलाह मान कर अपने लिए वही जीवन साथी चुना जो उनकी माँ की शर्तो पर खरे उतरा और जिन्होंने एक हीरे से उनको चार के बराबर मुनाफा करके दिया, जिसके कारण दोनों बहनों को बड़े ही समझदार व बुद्धिमान जीवन साथी प्राप्त हुए।
उत्तर : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें विपरीत परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए और अपने बुजुर्गों पर भरोसा करना चाहिए क्योंकि वे कोई भी राय या सलाह अपने तजुर्बो से सीख कर ही आगे अपने बच्चों को देते है।
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