Rapunzel Ki Kahani | रॅपन्ज़ेल की कहानी
'रॅपन्ज़ेल की कहानी'
एक समय की बात है, एक आदमी अपनी प्यारी सी बीवी के साथ बहुत हँसी – ख़ुशी से रहता था। वह दोनों बहुत ही प्यार से जीवन बिता रहे थे और बहुत ही जल्द उनके घर में एक नन्ना मेहमान आने वाला था।
उनके घर के आस-पास बहुत ही अच्छी -अच्छी हवेलियाँ बनी थी। उनके घर के ठीक सामने भी एक बहुत ही सुंदर हवेली थी और उस हवेली में बहुत ही सुंदर रॅपन्ज़ेल के पौधे लगे हुए थे पर वह हवेली एक जादूगरनी की थी जिसका नाम ‘गोथेल’ था।
एक दिन वह दोनों पति- पत्नी सुबह के समय अपने घर में बैठकर नाश्ता खा रहे थे कि अचानक पत्नी का मन कुछ घबराने लगा और वह उठकर बाहर बालकनी में आकर ताजी हवा मे सांस लेने लगी, आज उसे बाहर आकर ताज़ी हवा का आनंद लेना काफ़ी अच्छा लग रहा था जिससे उसके मन की घबराहट काफ़ी कम हो गयी थी।
बालकनी में खड़े – खड़े ही अचानक उसकी नजर गोथेल की हवेली में लगे रॅपन्ज़ेल के पौधों पर पड़ी जो बहुत ही सुंदर दिख रहे थे, पता नहीं क्यों लेकिन उसका मन पौधों पर बड़ा ही आकर्षित हुआ जा रहा था और उसने अपने पति को आवाज देकर वहाँ बालकनी में बुला लिया।
वह महिला अपने पति से आग्रह करने लगी ‘क्या आप मुझे सामने वाली हवेली से रॅपन्ज़ेल के पत्ते लाकर दे सकते हैं, मेरा उन्हें खाने का बहुत मन कर रहा है’, अपनी पत्नी के मुख से यह सुनकर उसका पति काफ़ी घबरा गया और कहने लगा ‘नहीं – नहीं वह तो एक जादूगरनी की हवेली है, मैंने लोगों से सुना है कि वह बहुत गुस्सैल है और बहुत ताकतवर भी’।
अगले कुछ दिनों तक वह रोज अपनी पत्नी के मन को बहलाने के लिए स्वादिष्ट व्यंजन लेकर आता है जिससे उसकी पत्नी उन रॅपन्ज़ेल के पत्तों को भूल जाए पर एक दिन उसकी पत्नी उससे कहने लगी ‘आप समझने की कोशिश करें मुझे वह पत्ते बहुत पसंद है और मुझे रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाने का बहुत मन कर रहा है क्या आप मेरी यह इच्छा कभी पूरी नहीं करेंगे’।
अगले दिन उसने अपनी पत्नी को बहुत परेशान देखा और वह सोचने लगा ‘मेरी पत्नी का इस तरह परेशान रहना उसके और उसके होने वाले बच्चे के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है, मुझे किसी भी तरह जादूगरनी गोथेल से बात करनी चाहिए’।
यह सोचता हुआ वह गोथेल के घर के बाहर जा पंहुचा और फिर गोथेल के घर के अंदर जाकर गोथेल से अपनी पत्नी के लिए वह पत्ते मांगता है, वह गोथेल से कहता है ‘हम आपकी हवेली के सामने ही रहते है, मेरी पत्नी गर्भवती है और उसका रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाने का बहुत मन है क्या आप मेरी पत्नी के लिए अपने रॅपन्ज़ेल के कुछ पत्ते मुझे दोगी’।
इस पर गोथेल बहुत गुस्सा हो जाती है और कहती है ‘कभी नहीं, बिल्कुल भी नहीं। चले जाओ यहां से और दोबारा कभी यहाँ नहीं आना, मैं अपने रॅपन्ज़ेल के पत्ते किसी को भी नहीं दूंगी’।
गोथेल के गुस्से से घबराकर वह व्यक्ति तुरंत ही वहां से चला जाता है लेकिन उसे अपनी पत्नी के बारे में सोचकर काफ़ी चिंता होती है, वह सोचता है कि क्यों ना यह पत्ते चुराकर अपनी पत्नी के मन की इच्छा को पूरा किया जाए और वह आने वाली रात में चुपके से गोथेल की हवेली में जाता है और रॅपन्ज़ेल के ढेर सारे पत्ते तोड़कर ले आता हैं।
परन्तु जब अगली सुबह गोथेल अपने बगीचे में जाती है तो रॅपन्ज़ेल के पौधों पर पत्तों को कम पाकर हैरान हो जाती है, अपने जादू के इस्तेमाल से वह पता कर लेती है उसके बगीचे से पत्तों को कौन ले गया है।
जैसे ही गोथेल को यह सब पता चलता है तो गोथेल बहुत नाराज होती है और गुस्से में चूर उनके घर पर आती है, उस समय उस व्यक्ति की पत्नी रॅपन्ज़ेल के पत्ते की सलाद बना कर खा रही होती है जिसे देख गोथेल को और भी ज्यादा गुस्सा आ जाता है और वह दोनों पति –पत्नी को बहुत भला – बुरा सुनाती है।
काफ़ी देर तक उन्हें डांटने के बाद वह अंत में उनसे कहती है ‘तुमने मेरे मना करने के बाद भी मेरे बगीचे से रॅपन्ज़ेल के पत्ते चुराए हैं जिन्हें मैंने अपने बच्चों की तरह पाला था, इसके बदले अब तुम्हें मुझे अपने होने वाले बच्चे को देना होगा नहीं तो मैं अपने जादू से तुम्हारा बहुत ही बुरा कर दूंगी’।
गोथेल की यह बात सुनकर वह दोनों डर से कापने लगते हैं और उससे बड़ी मिन्नतें करते है लेकिन वह उनकी एक नहीं सुनती और उन्हें चेतावनी देकर वहां से चली जाती है, गोथेल के जाने के बाद वह दोनों बहुत ही चिंतित रहने लगते है और ऐसे ही समय आगे बढ़ने लगता है।
कुछ महीनों के बाद उनके घर में एक नन्हीं बच्ची के रूप में छोटा मेहमान आता है जिसे पाकर वे दोनों पति – पत्नी बहुत खुश थे पर तभी उन्हें गोथेल की दी हुई चेतावनी याद आ जाती है और वह दोनों यह निर्णय लेते हैं हम यहां से अपने बच्चे को लेकर भाग जाएंगे।
वह दोनों देर रात में भागने की योजना बनाते है और आधी रात में जब अपनी बच्ची को लेकर भाग रहे होते है तभी अचानक गोथेल को पता चल जाता है, वह रास्ते में आकर उन्हें अपने जादू से डराती है और उनसे उनकी बच्ची छीन लेती है।
वह दोनों बेचारे बहुत ही परेशान होते हैं और रोते – बिलखते हुए अपने घर को वापस आ जाते हैं क्योंकि वह उस जादूगरनी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे। उधर जादूगरनी गोथेल कहती है ‘मैं इस बच्ची का नाम रॅपन्ज़ेल रखूंगी क्योंकि इसकी माँ को मेरे रॅपन्ज़ेल के पत्ते के बदले अपनी बच्ची मुझे देनी पड़ी है।
समय बीतने लगता है, वह जादूगरनी रॅपन्ज़ेल व उसके बढ़ते सुंदर बालों का बहुत ख्याल रखती थी। देखते ही देखते रॅपन्ज़ेल बड़ी होने लगती है, पर वह जादूगरनी हर वक्त इस बात का बहुत ख्याल रखती थी कि रॅपन्ज़ेल किसी से ना मिले।
जादूगरनी गोथेल रॅपन्ज़ेल को बाहर की दुनिया से बिलकुल अलग रखना चाहती थी, वह नहीं चाहती थी की कोई भी रॅपन्ज़ेल को देख पाए, वह रॅपन्ज़ेल को किसी से भी नहीं मिलने देती थी और बाहर के सारे काम भी खुद ही किया करती थी।
समय बीतने के साथ –साथ रपुंजल अब बड़ी हो चुकी थी, रपुंजल के बाल भी बहुत सुंदर वह लंबे थे। उसके घने बालों को सवारने में जादूगरनी गोथेल उसकी मदद किया करती थी।
जब भी कभी गोथेल किसी काम से अपने घर से बाहर जाया करती थी तो रॅपन्ज़ेल अपना मन बहलाने के लिए बहुत ही सुंदर आवाज में गाने गाया करती थी, उसकी आव़ाज काफ़ी अच्छी थे और वह बहुत ही सुरीला गाती थी।
एक दिन की बात है कि जब गोथेल रॅपन्ज़ेल कि उसके बाल सवारने में मदद कर रही थी तभी अचानक वहाँ पर एक बूढ़े जादूगर प्रकट हुए, वह जादूगर और कोई नहीं बल्कि गोथेल के गुरु थे जिन्होंने उसे जादुई विधा सिखाई थी।
वह कहने लगे ‘गोथेल मेरी बात बड़े ध्यान से सुनो, अब वह वक्त आ गया है जब तुम शहर से बाहर मेरे मीनार में जाकर रहो और उसकी देखरेख करो’, उनकी बात सुनकर गोथेल थोड़ा निराश तो हुई लेकिन वह अपने गुरु से कुछ नहीं कह सकती थी इसलिए उसने उनकी बात पर अपनी हामी भर दी।
अब गुरु जी अपने जादू से उन दोनों को अपनी जादुई टोपी में बिठाकर अपनी मीनार में ले जाते हैं, मीनार में ले जाकर वह गोथेल से कहते है ‘गोथेल अब तुम्हें इस मीनार का ध्यान रखना है क्योंकि मै अब दूर किसी जगह जाकर आराम करना चाहता हूँ, तुम्हें इस मिनार को बहुत अच्छी तरह से संभालना है’।
जाते – जाते गुरु जी गोथेल को चेतावनी भी दे जाते है कि अगर तुमने इस मिनार की देख भाल अच्छी तरह से नहीं की तो जब मैं वापस लौटूंगा तब तुम्हे उसकी सजा भी मिल सकती है और यह कहते हुए वह बूढ़ा जादूगर वहाँ से गायब हो गया।
अगले दिन गोथेल रॅपन्ज़ेल से कहती है कि वह पास के बाजार में जा रही है, यह सुनकर रॅपन्ज़ेल सोचने लगती है कि इतनी ऊंची मीनार से गोथेल नीचे कैसे उतरेगी लेकिन तभी गोथेल रॅपन्ज़ेल से कहती है ‘रॅपन्ज़ेल अपने बालों को नीचे गिराओ जिससे मैं तुम्हारे बालों का सहारा लेकर नीचे उतर सकूं’।
मीनार से नीचे उतरने से पहले गोथेल रॅपन्ज़ेल से कहती है ‘रॅपन्ज़ेल तुम ध्यान से रहना क्योंकि जब मैं वापस आऊंगी तब मैं तुम्हें नीचे से आवाज लगाऊंगी, रॅपन्ज़ेल – रॅपन्ज़ेल अपने बालों को नीचे गिराओ तो तुम अपने बालों को नीचे गिरा देना जिससे उनका सहारा लेकर मैं ऊपर आ जाऊंगी’ और यह कहती हुई गोथेल रॅपन्ज़ेल के बालों का सहारा लेकर नीचे उतर जाती है।
समय बीतने लगता है, गोथेल और रॅपन्ज़ेल उसी मीनार में रहने लगते है। हर बार जब भी गोथेल को कुछ सामन लेने बाहर बाजार जाना होता तो वह इसी तरह से रॅपन्ज़ेल के बालों का सहारा लेकर नीचे उतरती व वापस आने पर ऊपर चढ़ आती।
एक बार गोथेल के जाने के बाद रॅपन्ज़ेल अपना मन लगाने के लिए अपनी सुरीली आवाज़ में गाना गा रही होती है कि इतने में उस राज्य का राजकुमार अपने घोड़े पर सवार होकर मिनार के पास से गुजर रहा होता है, अचानक राजकुमार को रॅपन्ज़ेल की मीठी आवाज सुनाई देती है तो वह सोच में पड़ जाता है की इतनी सुरीली आवाज यहाँ – कहाँ से आ रही है।
फिर जब राजकुमार मीनार के बहुत पास से गुजर रहा था तो उसे यह एहसास होता है कि अवश्य ही यह आवाज इस मीनार के अंदर से आ रही है, वह कुछ देर के लिए पेड़ के पीछे छुप जाता है और देखने की कोशिश करता है कि आखिर यहां पर कौन रहता है।
इतने में गोथेल बाजार से वापस आ जाती है और रॅपन्ज़ेल को आवाज़ देकर कहती है ‘रॅपन्ज़ेल – रॅपन्ज़ेल अपने बालों को नीचे गिराओ’ यह सब राजकुमार देख रहा होता है, यह सब देख कर वह बहुत ही हैरान होता है लेकिन कुछ सोच – समझकर आगे नहीं बढ़ता।
राजकुमार उस दिन तो वहां से चला जाता है पर अगले दिन फिर वापस आकर पेड़ के पीछे से मिनार पर नजर रखता है, उस दिन भी गोथेल समान लेने बाजार जाती है और उसके जाने के बाद रोज की तरह रॅपन्ज़ेल मधुर आवाज में अपना मन बहलाने के लिए गाना गाने लगती है।
अचानक उसे आवाज आती है ‘रॅपन्ज़ेल रॅपन्ज़ेल अपने बालो को निचे गिराओ’, आवाज़ पर ज्यादा ध्यान दिए बिना रॅपन्ज़ेल रोज की तरह अपने बालों को नीचे गिरा देती है। बालों का सहारा लेकर राजकुमार मीनार पर ऊपर चढ़ जाता है।
एक अनजान व्यक्ति को ऊपर आया देखकर रॅपन्ज़ेल पहले तो बहुत घबरा जाती है लेकिन फिर राजकुमार के समझाने पर उसे विश्वास हो जाता है कि वह उसे कोई नुकसान नहीं पहुचाने वाला, राजकुमार के साथ बात करके उसे भी काफ़ी अच्छा लगता है क्योंकि वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी बाहर के व्यक्ति से बातें कर रही थी।
रॅपन्ज़ेल से काफ़ी देर बातें करने के बाद गोथेल के आने से पहले राजकुमार उससे विदा लेता है और फिर रॅपन्ज़ेल के बालों का सहारा लेकर नीचे आ जाता है, अब वह राजकुमार रोज रॅपन्ज़ेल से मिलने आने लगा था और उन दोनों की काफ़ी अच्छी दोस्ती हो गयी थी।
एक दिन राजकुमार ने रॅपन्ज़ेल से पूछा ‘तुम इतने ऊंचे मिनार मे क्यों रहती हो’, इस पर रॅपन्ज़ेल की आंखों में आंसू आ गए और वह कहने लगी ‘गोथेल मेरी मां नहीं है बल्कि गोथेल एक जादूगरनी है, गोथेल ने मुझे मेरी मां से ले लिया है और फिर मेरी और मेरे बालों की बहुत देखभाल की जिससे मेरे बाल इतने लंबे हो गए’।
गोथेल ने हमेशा मुझे अपनी कड़ी निगरानी में रखा है और किसी से मिलने नहीं दिया क्योंकि गोथेल को हमेशा यह डर लगता रहता था कि कहीं मैं लोगों को गोथेल का सच ना बता दूं और फिर गोथेल को मुझे मेरे माता पिता को वापस ना करना पड़ जाए, यह सब कहानी सुनकर राजकुमार बहुत भावुक हो जाता हैं और कहता हैं ‘तुम चिंता मत करो रॅपन्ज़ेल, एक दिन मैं तुम्हें इस मीनार और गोथेल से जरूर आजाद करा दूंगा’।
ऐसे ही काफ़ी दिन बीत जाते है और राजकुमार व रॅपन्ज़ेल की दोस्ती भी धीरे – धीरे प्यार में बदल जाती है, तभी एक दिन गोथेल बाजार से जल्दी वापस आ जाती है और राजकुमार को रॅपन्ज़ेल के बालों का सहारा लेकर मीनार से नीचे उतरते हुए देख लेती है।
यह देखकर वह हैरान रह जाती है और फिर मीनार में पहुचकर रॅपन्ज़ेल पर बहुत गुस्सा होती है, दोनों में काफ़ी बहस होती है जिसके बाद गोथेल गुस्से में आकर रॅपन्ज़ेल के बाल काट देती है और उसे एक अंधेरी कोठरी में बंद कर देती है।
इस सब से अनजान राजकुमार जब अगले दिन रॅपन्ज़ेल से मिलने आता है और मीनार के नीचे आकर कहता है ‘रॅपन्ज़ेल- रॅपन्ज़ेल अपने बाल नीचे डालो’, तो उसकी आवाज़ सुनकर गोथेल रॅपन्ज़ेल के काटे हुए लंबे बालों को नीचे डाल देती है जिन्हें पकड़कर राजकुमार मीनार पर रोज की तरह चढ़ आता है।
ऊपर आकर जब वह गोथेल के हाथों में रपुंजल के बालों को देखता हैं तो सोचता है ‘ओह यह क्या!!! इस जादूगरनी ने रॅपन्ज़ेल के लंबे बालों को काट दिया और उन्हें मुझे ऊपर बुलाने के लिए रस्सी की तरह इस्तेमाल किया’।
गोथेल राजकुमार पर चाक़ू से वार करती है पर वह बड़ी फुर्ती से खुद को बचाकर उससे जा भिड़ता है और कुछ ही देर में बड़ी बहादुरी से उसे मार गिराता है, अब उसे रॅपन्ज़ेल की चिंता सताती है की ना जाने गोथेल ने उसके साथ क्या किया है।
वह वहीं मीनार में बैठ जाता है और अपनी आँखों में आंसू लिए रॅपन्ज़ेल के साथ बिताये पलों को याद करने लगता है कि तभी उसके कानों में बड़ी धीमी सी वही मीठी सुरीली आवाज़ आने लगती है जिसे वह बड़ी अच्छी तरह से पहचानता था।
यह निश्चित ही रॅपन्ज़ेल की आवाज़ थी जिसे सुनकर राजकुमार की आँखे खुशी से भर जाती है और वह मीनार के हर कोने को तलाशने लगता है, तभी एक अँधेरे से कोने में छोटे से दरवाजे पर उसकी नज़र पड़ती है और वह उसे तोड़ डालता है।
उसी अंधेरी कोठरी में उसे रॅपन्ज़ेल मिल जाती है जिसे पाकर वह बहुत ही खुश होता है और उसको लेकर अपने महल में चला जाता है, कुछ दिनों की जांच – पड़ताल के बाद रॅपन्ज़ेल के माता-पिता भी मिल जाते है और वह उसे अपने घर ले जातें है।
कुछ समय बीतने पर राजकुमार अपनी पसंद अपने माता – पिता को भी बता देते है जिससे वह बहुत खुश होते है और अपने बेटे से रॅपन्ज़ेल की शादी का प्रस्ताव भिजवा देते हैं। बड़ी ही धूमधाम से दोनों की शादी हो जाती है और वे हंसी – खुशी एक दूसरे के साथ अपना जीवन बिताने लगते हैं।
‘रॅपन्ज़ेल की कहानी’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर : गोथेल एक जादूगरनी थी जो एक बहुत ही बड़ी हवेली में रहती थी, उसने अपने घर के बगीचे में सुन्दर रॅपन्ज़ेल के पौधे लगाये हुए थे जो सबको बहुत ही आकर्षित करते थे।
उत्तर : गोथेल की हवेली के सामने एक नव विवाहित पति-पत्नी रहते थे, एक दिन पत्नी ने अपने पति से कहा ‘मेरा मन सामने वाली हवेली में लगे रॅपन्ज़ेल के पौधे के पत्तों को खाने का कर रहा है’, पति उसे मन नहीं कर पाया क्योकि वह गर्भवती थी इसलिए उसने हिम्मत करके हवेली में आकर गोथेल से अपनी पत्नी के लिए पत्ते मांगे पर गोथेल बहुत ही गुस्सेल थी इसलिए उसने पत्ते देने से इंकार कर दिया।
उत्तर : गोथेल गुस्से में उन दोनों को धमकी देती हैं कि तुमने मेरे बगीचे से जो रॅपन्ज़ेल के पत्ते चुराए है उन्हें मैंने अपने बच्चे की तरह पाला था इसलिए अब उनके बदले तुम्हे मुझे अपना होने वाला बच्चा देना होगा नहीं तो में तुम्हारा बहुत बुरा कर दूंगी।
उत्तर : जब उन दोनों पति पत्नी के घर एक नन्ही पारी आती है तो वे दोनों पति पत्नी योजना बनाते है कि हम बिना किसी को बताये यहाँ से भाग जायेंगे। फिर जब दोनों पति पत्नी एक रात वहाँ से भाग रहे होते है की इसकी खबर गोथेल को लग जाती हैं और गोथेल रस्ते में आ कर उनको अपने जादू से डरा धमका कर उनसे उनकी बच्ची छीन लेती है।
उत्तर : जादूगरनी गोथेल ने बच्ची का नाम रॅपन्ज़ेल इसलिए रखा क्योकि उसको वह बच्ची अपने बगीचे में उगाये हुए रॅपन्ज़ेल के पत्तों के बदले में मिली थी।
उत्तर : गोथेल रॅपन्ज़ेल को किसी से मिलने नहीं देती थी क्योकि उसको हमेशा यह डर लगता था की कही रॅपन्ज़ेल लोगो को जादूगरनी गोथेल का सच न बता दे कि इसने मुझे मेरी माँ से छीन कर यहाँ अपनी निगरानी में कैद कर रखा हैं और मुझे किसी से मिलने भी नहीं देती।
उत्तर : रॅपन्ज़ेल अक्सर अपना मन बहलाने के लिए गाने गाया करती थी, एक दिन जब रॅपन्ज़ेल गाना गा रही थी कि अचानक उसकी गाने की आवाज़ यहीं पास से गुजर रहे राजकुमार के कानो में पड़ी। उस आवाज़ को खोजते हुए राजकुमार मिनार में चढ़ जाते है और वहाँ राजकुमार की मुलाकात रॅपन्ज़ेल से होती है।
उत्तर : जादूगरनी गोथेल रॅपन्ज़ेल को मिनार की काल कोठरी मे बंद कर देती है और रॅपन्ज़ेल के बालों को भी काट देती है, जब रोज़ की तरह राजकुमार रॅपन्ज़ेल से मिलने आता है तो गोथेल उसके कटे हुए बालों को नीचे लटका देती है और जैसे ही राजकुमार ऊपर चढ़ कर हवेली पहुचता है तभी गोथेल राजकुमार पर चाकू से हमला करती है। लेकिन राजकुमार बड़ी ही बहादुरी से गोथेल को मार कर रॅपन्ज़ेल को काल कोठरी से आज़ाद कर उसे अपने साथ ले जाता है।
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