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Sare Jahan Se Achha

Sare Jahan Se Achha | सारे जहां से अच्छा

उर्दू भाषा के कवि मोहम्मद इकबाल जिन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि का दर्जा भी प्राप्त है, द्वारा लिखित गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ जिसे ‘तराना ए हिंदी’ के नाम से भी जाना जाता है उर्दू शायरी की गजल शैली में लिखा गया एक सुप्रसिद्ध देश भक्ति गीत है, इस गीत का प्रथम प्रकाशन एक साप्ताहिक पत्रिका ‘इत्तेहाद’ में 16 अगस्त 1904 में किया गया था।

इसके अगले वर्ष 1905 में मोहम्मद इकबाल ने जो लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में एक लेक्चरर के पद पर कार्यरत थे इस गीत को कॉलेज के एक समारोह की अध्यक्षता करते हुए सार्वजनिक रूप से गाया था। इसके बाद यह गीत ब्रिटिश राज के विरोध को प्रकट करने का एक माध्यम बन गया जिसे 1924 में उर्दू पुस्तक ‘बंग-ए-दारा’ में भी प्रकाशित किया गया।

भारत के राष्ट्रगान जन गण मन व राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के बाद आने वाला यह देश भक्ति गीत आजादी के पहले की एक अखंड भारत की मजबूत अवधारणा को जागृत करता है जिसे देशभक्ति के सभी आयोजनों व समारोहों में बड़े ही जोश के साथ सम्मिलित किया जाता है।

इस गीत का पूर्ण उर्दू संस्करण मूलतः 9 खंडों में समाहित है जिसके संक्षिप्त संस्करण में चार खंड (1), (3), (4) और (6) को ही भारत में गीत के रूप में गाया जाता है। शुरू के कुछ वर्षों तक इस गीत को एक धीमी धुन के साथ गाया जाता था जिसे 1945 में सितार वादक पंडित रविशंकर ने संशोधित किया जिसके बाद इस गीत को भारतीय सशस्त्र बलों के एक मार्चिंग गीत के रूप में भी अपनाया गया। बाद में गायिका लता मंगेशकर ने सारे जहां से अच्छा को इसकी तीसरी नई धुन पर रिकॉर्ड किया।

भारत में गाए जाने वाले इसके संक्षिप्त संस्करण में बताया गया है कि हमारा यह हिंदुस्तान सारी दुनिया में सबसे अच्छा देश है और हम इस अलग-अलग प्रकार के फूलों से सजे हुए बाग़ के फूल हैं। हमारे देश में स्थित सबसे ऊंचा पर्वतराज हिमालय जो कि आसमान का साथी है वह हमारी हरदम एक रक्षक की तरह रक्षा करता है। हमारे हिंदुस्तान में स्थित हजारों छोटी बड़ी नदियां चारों दिशाओं में फैल कर हमारे इस देश की सुंदरता को और भी बढ़ा देती हैं तथा अपने जल से इसे संचित कर इसे दुनिया का सबसे सुंदर देश बना देती हैं जिस पर हमें गर्व है।

गीत के अगले खंड में कवि आपसी भाईचारे के महत्व को समझाते हुए कहते हैं कि भले ही हम किसी भी धर्म या मजहब को मानने वाले क्यों ना हो, कोई भी धर्म या मजहब हमें आपस में एक दूसरे से नफरत करना नहीं सिखाता। हम सब हिंदी भाषा बोलने वाले लोग हैं और हमारा एक ही वतन हिंदुस्तान है जिसमें हमें आपसी सद्भावना वह प्यार से मिल जुल कर रहना है।

‘सारे जहाँ से अच्छा’ बालगीत के बोल

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा


पर्वत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा

सारे जहाँ से अच्छा…

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा…

मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा

सारे जहाँ से अच्छा…

‘Sare Jahan Se Achha’ Lyrics in English

Sare jahan se achha Hindustan hamara
Hum bul bulae hai is ke, Ye gulsita hamara

Parbat vo sabse uncha, Hum saya asma ka
Vo santare hamara, Vo paswa hamara

Sare jahan se achha…

Godi mei khelti hai, Jiski hazaro nadiya
Gulshan hai jinke dum se, Rashke jina hamara

Sare jahan se achha…

Mazhab nahi sikhata, Apas mei bar rakhna
Hindi hai hum Vatan hai, hindosta hamara

Sare jahan se achha…

‘Sare Jahan Se Achha’ English Translation

Better than the entire world, is our India
we are its nightingales and this is our garden

 

That mountain most high, neighbor to the skies
It is our sentinel, it is our protector

Better than the entire world…

 

A thousand rivers play in its lap,
Gardens they sustain, the envy of the heavens is ours

Better than the entire world…

 

Faith does not teach us to harbor grudges between us
We are all Indians and India is our homeland

Better than the entire world…

‘सारे जहाँ से अच्छा’ गीत का पूर्ण संस्करण

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलसिताँ हमारा

 

ग़ुर्बत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा

 

परबत वह सबसे ऊँचा, हम्साया आसमाँ का
वह संतरी हमारा, वह पासबाँ हमारा

 

गोदी में खेलती हैं इसकी हज़ारों नदियाँ
गुल्शन है जिनके दम से रश्क-ए-जनाँ हमारा

 

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वह दिन हैं याद तुझको?
उतरा तिरे किनारे जब कारवाँ हमारा

 

मज़्हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दोसिताँ हमारा

 

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा

 

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा

 

इक़्बाल! कोई महरम अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहाँ हमारा !

‘सारे जहाँ से अच्छा’ गीत का पूर्ण उर्दू संस्करण

سارے جہاں سے اچھاھندوستاں ہمارا

ہم بلبليں ہيں اس کی، يہ گلستاں ہمارا

غربت ميں ہوں اگر ہم، رہتا ہے دل وطن ميں

سمجھو وہيں ہميں بھی، دل ہو جہاں ہمارا

پربت وہ سب سے اونچا، ہمسايہ آسماں کا

وہ سنتری ہمارا، وہ پاسباں ہمارا

گودی ميں کھيلتی ہيں اس کي ہزاروں ندياں

گلشن ہے جن کے دم سے رشک جاناں ہمارا

اے آب رود گنگا، وہ دن ہيں ياد تجھ کو؟

اترا ترے کنارے جب کارواں ہمارا

مذہب نہيں سکھاتا آپس ميں بير رکھنا

ہندی ہيں ہم وطن ہے ہندوستاں ہمارا

يونان و مصر و روما سب مٹ گئے جہاں سے

اب تک مگر ہے باقی نام و نشاں ہمارا

کچھ بات ہے کہ ہستی مٹتی نہيں ہماری

صديوں رہا ہے دشمن دور زماں ہمارا

اقبال! کوئي محرم اپنا نہيں جہاں ميں

معلوم کيا کسی کو درد نہاں ہمارا

‘सारे जहाँ से अच्छा’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

‘सारे जहाँ से अच्छा’ गाना लेखक मुहम्मद इकबाल ने लिखा था।

‘सारे जहाँ से अच्छा’ गाने को सबसे पहले सरकारी कालेज लाहौर में पढ़कर सुनाया था।

‘सारे जहाँ से अच्छा’ गाने का सबसे पहले उल्लेख मुहम्मद इकबाल की रचना ‘बंग-ए-दारा’ में किया गया था।

‘सारे जहाँ से अच्छा’ गाने में संगीत सितार वादक पण्डित रवि शंकर ने दिया था।

‘सारे जहाँ से अच्छा’ गाने में लेखक ने क्या समझाने की कोशिश की है कि सभी मज्हबो को मिल जुल कर रहना चाहिए।

Frequently asked questions (FAQ's) based on 'Sare Jahan Se Achha'

The song ‘Sare Jahan Se Achha’ was written by writer Muhammad Iqbal.

The song ‘Sare Jahan Se Achha’ was first read in Government College Lahore by Muhammad Iqbal.

The song ‘Sare Jahan Se Achha’ was first mentioned by Muhammad Iqbal’s composition ‘Bang-e-Dara’.

Music in the song ‘Sare Jahan Se Achha’ was given by sitar player Ravi Shankar.

What has the writer tried to explain in the song ‘Sare Jahan Se Achha’ that all religions should live together.

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