Ghoomar

Ghoomar | घूमर

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भारत देश के अत्यंत लोकप्रिय नृत्यों में राजस्थान के पारंपरिक घूमर नृत्य का अपना अहम स्थान है, ‘घूमना’ शब्द अर्थात चक्कर लगाना से व्युत्पन्न यह नृत्य पश्चात में राजस्थानी भील जनजाति द्वारा सरस्वती वंदना में प्रयुक्त किया जाता था।

मारवाड़ राज्य के संस्थापक व शासक राजपूत राठौर वंश द्वारा इसका उपयोग या चलन संभवत अपने विजय अवसरों पर महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कुछ विशेष आयोजनों में ही था जिसे बाद में लगभग पूरे राजपूताना द्वारा अपना लिया गया तथा यह पूरे राजस्थान के एक महत्वपूर्ण लोक नृत्य के रूप में स्थापित हो गया।

घूमर नृत्य पूर्ण रूप से महिलाओं द्वारा ही किया जाता है तथा इसे देवी(मुख्यतः सरस्वती) को समर्पित किया जाता है जिससे इस नृत्य का पारंपरिक गौरव तथा महिलाओं के साथ जुड़ाव अद्भुत है, आमतौर पर इस नृत्य को करने वाली तथा इसे देखने वाली महिलाएं ही होती हैं इसलिए इसमें प्रयुक्त होने वाले ज्यादातर छंद व बोल भी विशेष रूप से महिलाओं को ही समर्पित होते हैं जिससे वह अपने मन की बात को गीत व नृत्य के साथ मनोरंजन तरीके से प्रस्तुत कर पाती हैं।

ऐतिहासिक समय में राजस्थान राज्य की पारंपरिक राजधानी मारवाड़ से शुरू हुआ यह मनमोहक नृत्य वहां की पारंपरिक लोकप्रिय पोशाक चनिया चोली या घाघरा चोली के साथ किया जाता है, अपनी शुरुआत में केवल प्रतिष्ठित राजघरानों की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य धीरे-धीरे जयपुर के शाही परिवारों में भी लोकप्रिय होता गया जिसे बाद में जोधपुर, कोटा बूंदी तथा जयपुर के मध्यमवर्गीय परिवारों में भी शुभ अवसरों पर किया जाने लगा जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ती ही चली गई।

राजस्थानी वस्त्रों के उज्जवल रंग, डिज़ाइन, कढ़ाई या मिरर वर्क हमेशा से अन्य भारतीय तथा पश्चिमी महिलाओं को अपनी जीवंतता से आकर्षित व मोहित करते रहे हैं, इन सभी से सजा घूमर नृत्य भी जैसे राजस्थान की दूसरी पहचान बनता जा रहा है जो सभी वर्ग की महिलाओं द्वारा काफी सराहा जाता है।

इस नृत्य की तुलना कभी-कभी गुजरात के गरबा नृत्य से भी की जाती है क्योंकि दोनों ही विशेष रूप से सामूहिक नृत्य हैं जिन्हें सजीली भारी पोशाकों के साथ एक विशिष्ट शैली में प्रस्तुत किया जाता है, दोनों ही नृत्य पारंपरिक गौरव तथा देवी उपासना से जुड़े हुए हैं जो इन्हें एक खास पहचान दिलाता है।

अनिवार्य रूप से महिलाओं द्वारा किए जाने वाले घूमर नृत्य में आकर्षक लयबद्ध धुनों पर घूमते हुए सामूहिक नृत्य किया जाता है जिसमें हाथों की ताली, उंगलियों से बजने वाली चुटकियों तथा अन्य छोटी-छोटी योजनाओं का इस्तेमाल असाधारण कौशल वह सामंजस्य के साथ किया जाता है जो देखते ही बनता है।

नृत्य के बीच में विभिन्न तरह की धुनों का उतार-चढ़ाव व गति दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी होती है, आधुनिक समय में घूमर नृत्य राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन चुका है जिसे सभी वर्गो के द्वारा समान रूप से सराहा जाता है।

यहां पर प्रस्तुत घूमर लोकगीत एक युवा राजपूत लड़की के मन की मासूमियत से भरा है जिसमें है अपनी मां से अनुग्रह करते हुए अपने दिल की बात कह रही है कि उसे क्या पसंद है तथा उसे अपने लिए कैसा वर चाहिए, यहां पर वह अपने कुछ विचार बड़ी ही सरलता व सहजता से प्रकट कर रही है कि क्यों वह ऐसा सोचती है।

‘घूमर’ लोकगीत के बोल

ओ… म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
ओ… म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
ओ… म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादया ऐ माँ
घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… म्हाने राठौड़ा री बोली प्यारी लागे ये माँ
ओ… म्हाने राठौड़ा री बोली प्यारी लागे ये माँ
घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… म्हाने राठौड़ा री बोली हीरा तोली ये माँ
ओ… म्हाने राठौड़ा री बोली हीरा तोली ये माँ
घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… म्हाने राठौड़ा रा पेच प्यारा लागे ये माँ
ओ… म्हाने राठौड़ा रा पेच प्यारा लागे ये माँ
घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ
घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… म्हाने परदेशियाँ मत दीजो ऐ माँ
घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… म्हाने राठौड़ा रे घर भल दीज्यो ये माँ
ओ… म्हाने राठौड़ा रे घर भल दीज्यो ये माँ
घूमर रम्बा म्हें जास्यां..
राजरी घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… म्हाने जोधाणा रा कोट प्यारा लागे ये माँ
ओ… म्हाने जोधाणा रा कोट प्यारा लागे ये माँ
घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… राजरी घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… म्हाने राठौड़ा री बोली प्यारी लागे ये माँ
ओ… म्हाने राठौड़ा री बोली प्यारी लागे ये माँ
घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… राजरी घूमर रम्बा म्हें जास्यां
ओ… म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
घुमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ… राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ

गीत की शुरुआत में वह नव युवती अपनी मां से मेकअप का कुछ सामान जैसे काजल की टिकी अर्थात डिब्बी लाने को कहती है जो बताता है कि लड़की अब धीरे-धीरे बड़ी हो रही है तथा उसे अपने रूप सौंदर्य का भान हो चला है, अगली पंक्तियों में वह अपनी मां से लड्डू या मिठाई भी मांगती है जो कि उसकी पसंद नापसंद का प्रतीक है।

आगे वह लड़की बताती है कि मां तुम मुझे राजस्थान से बाहर नहीं भेजना जो बताता है कि वह लड़की अपने घर परिवार से ज्यादा दूर नहीं जाना चाहती तथा उसे अपनी जन्मभूमि राजस्थान का रहन-सहन ही पसंद है।

लोकगीत की अगली पंक्तियों में वह लड़की बताती है कि उसे राठौर पसंद है तथा उसे राठौड़ों से संबंधित अन्य सभी बातें भी काफी आकर्षित करती हैं जो नव युवती के अपने भविष्य से संबंधित विचारों को प्रकट करता है कि क्यों वह अपने राज्य राजस्थान के गौरव राठौर वंश के प्रति आकर्षित है तथा उसी के साथ बने रहना चाहती है।

नारीत्व की प्रधानता तथा विचारों को प्रकट करता यह लोकगीत निश्चित ही राजस्थान की संस्कृति तथा परंपरा से जुड़ा हुआ है, इस गीत में प्रयुक्त छंद युवा मन की भावनाओं तथा आकांक्षाओं को ना केवल प्रकट करते हैं बल्कि बेहद साधारण व सरल पंक्तियों द्वारा उन्हें श्रोताओं के दिलों तक पहुंचाने का कार्य भी सफलता पूर्वक करते हैं।

‘Ghoomar’ Lyrics in English

O… mhaari Ghoomar che Nakhrali ye Maa
O… mhaari Ghoomar che Nakhrali ye Maa
Ghoomar Ramwa mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan
O… mhaari Ghoomar che Nakhrali ye Maa

O… Mhaane Ramta ne Kaajal Tiki Laadya ye Maa
O… Mhaane Ramta ne Kaajal Tiki Laadya ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… Mhaane Rathoda ri Boli Pyari Laage ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… Mhaane Rathoda ri Boli heera toli ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… Mhaane Rathoda ra painch pyara Laage ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… Mhaane Rathoda re ghar bhal dijyo ye Maa
O… Mhaane Rathoda re ghar bhal dijyo ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan..
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… Mhaane Rathoda ri Boli Pyari Laage ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… maari Ghoomar che Nakhrali ye Maa
Ghoomar Ramwa mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… Mhaane Jodhana ra Coat Pyara Laage ye Maa
O… Mhaane Jodhana ra Coat Pyara Laage ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan
Ohh Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… Mhaane Rathoda ri Boli Pyari Laage ye Maa
O… Mhaane Rathoda ri Boli Pyari Laage ye Maa
Ghoomar Ramba mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

O… mhaari Ghoomar che Nakhrali ye Maa
O… mhaari Ghoomar che Nakhrali ye Maa
Ghoomar Ramwa mein jaasyan
O… Rajri Ghoomar Ramba mein jaasyan

‘घूमर’ पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

घूमर नृत्य भारत के राजस्थान राज्य का अति लोकप्रिय नृत्य है।

राजस्थान राज्य का घूमर नृत्य केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है।

घूमर नृत्य पश्चात में राजस्थानी भील जनजाति द्वारा सरस्वती वंदना में प्रयुक्त किया जाता था।

अधिकतर घूमर नृत्य का प्रदर्शन होली, दुर्गापूजा, नवरात्रि तथा गणगौर पर ही किया जाता है पर आजकल अपनी बढ़ती लोकप्रियता के कारण इसे शादी विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर भी किया जाने लगा है।

Frequently asked questions (FAQ's) based on ‘Ghoomar’

Ghoomar dance is a very popular dance form of Rajasthan state of India.

The Ghoomar dance of the state of Rajasthan is performed only by women.

The Ghoomar dance was later used by the Rajasthani Bhil tribe in Saraswati Vandana.

Most of the time Ghoomar dance is performed only on Holi, Durga Puja, Navratri and Gangaur, but now a days due to its increasing popularity, it is also being performed on weddings and other auspicious occasions.

‘घूमर’ पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण विवरण

‘घूमर’ राजस्थान का प्रसिद्ध लोक गीत है, जो पश्चिम राजस्थान के लोगों की पसंद है। इस गीत को शादी और महिला सम्मलेनों में खूब नृत्य करने के लिए चुना जाता है। यह गीत मेवाड़ के प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सवों, विवाह और अन्य सामाजिक अवसरों पर गाया जाता है।

इस गीत का मुख्य विषय महिलाओं के लिए होता है, जो बैठकर अपने हाथों की उंगलियों को झुमकाती हैं और गीत के साथ नृत्य करती हैं। इस गीत में स्त्रियों को बचपन से लेकर विवाह तक की सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है।

इस गीत का सांस्कृतिक महत्व राजस्थानी संस्कृति को दर्शाता है। यह गीत राजस्थान की विविधता और भिन्नता को दर्शाता है। यह गीत राजस्थान की जनजातीय संस्कृति और उसके गांवों के जीवन को दर्शाता है। इस गीत में जीवन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जैसे विवाह, बच्चे, संगीत, नृत्य आदि।

इस गीत के माध्यम से राजस्थान की भाषा, संस्कृति, गाने, नृत्य और परंपराओं का संदेश दुनिया भर में फैलता है। यह गीत राजस्थान के लोगों के जीवन में गहरी जड़ें बनाता है और उनके जीवन को खुशी और उत्साह से भर देता है।

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