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Birds Rhymes in Hindi | पक्षी

Mor
Mor | मोर

Mor : बालगीत ‘मोर’ बच्चों को भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में अवगत कराती है। वर्षा ऋतु में आसमान में काली घटा के छाने पर जब यह पक्षी अपने पंख फैला कर नाचता है, तो ऐसा लगता है कि मानो इसने सुंदर रंगों से सजी शाही पोशाक पहन रखी हो। मोर को पक्षियों का राजा कहा जाता है, क्योंकि मोर के सिर पर जो कलंगी होती है वह एक मुकुट की तरह प्रतीत होती है। खुशी में घूम-घूम कर जब मोर अपने लुभावने पंखो को फ़ैलाकर नृत्य करता है तो तो देखने वाले उनकी अनुपम छटा को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

Chidiya
Chidiya | चिड़िया

Chidiya : भारतवर्ष में पक्षियों की बहुत सी अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती है जिनमें से चिड़िया सबसे छोटी और सुंदर पक्षी है। बालगीत ‘चिड़िया’ बच्चों को चिड़िया के दिन भर के कार्यकलापों से अवगत कराता है जिन्हें सुनकर वो इस छोटे से सुंदर पक्षी के बारे में और ज्यादा जानने को उत्सुक होते है। कुछ सालों पहले तक चिड़िया अक्सर पेड़ो पर या घरों की छतों पर बैठी हुई दिख जाती थी लेकिन आजकल खासकर शहरों में यह बड़ी मुश्किल से ही कहीं देखने को मिलती है। समय के साथ साथ चिड़िया की यह नन्हीं प्रजाति हमारे आस पास से विलुप्त होती जा रही है।

Tota Hoon Main Tota Hoon
Tota Hoon Main Tota Hoon | तोता हूँ मैं तोता हूँ

Tota Hoon Main Tota Hoon : हरे रंग का तोता छोटे बच्चों को अपनी सुंदरता से तो आकर्षित करता ही है साथ ही साथ अपने नटखट स्वभाव व कही हुई बातों को दोहराकर उनका मन जीत लेता है। बालगीत ‘तोता हूं मैं तोता हूं’ बच्चों को तोते के इसी चंचल व नटखट रूप से अवगत कराता है, इस बालगीत की मदद से जहां एक और बच्चे तोते के विभिन्न अंगों के रंग रूप से परिचित होते हैं वहीं दूसरी ओर उसकी खानपान की आदतों व उसकी चाल ढाल को भी जान पाते हैं।

Titli Udi Ud Na Saki
Titli Udi Ud Na Saki | तितली उड़ी उड़ ना सकी

Titli Udi Ud Na Saki : हिंदी बाल गीत ‘तितली उड़ी उड़ ना सकी’ छोटे बच्चों को रिझाने वाला एक बहुत ही सुंदर बालगीत है, इसमें बच्चों को एक छोटी सी सुंदर तितली के साथ हुई घटना के बारे में बड़े ही मजेदार तरीके से बताया गया है। तितली सभी बच्चों को बहुत ही आकर्षित करती हैं, सुंदर फूलों पर उसका बार बार आकर मंडराना छोटे बच्चों को अनायास ही अपनी तरफ खींच लेता है। तितली के मनमोहक सुंदर पंखों को देखकर बच्चे बहुत खुश होते हैं व बार-बार उसे पकड़ने की चेष्टा करते हैं, बच्चों की यही जिज्ञासा उन्हें इस बालगीत से भी जोड़ देती है जिससे वे तितली से जुड़े इस बालगीत को भी बड़े ही चाव से सुनते और गाते हैं।

Pyasa Kauwa
Pyasa Kauwa | प्यासा कौवा

Pyasa Kauwa : बालगीत ‘प्यासा कौवा’ में जंगल के दृश्य को दर्शाया गया है कि जब सूरज अपनी प्रचंड गर्मी बरसा रहा होता है और पशु-पक्षी गर्मी से बेहद परेशान होकर यहाँ वहाँ घुम रहे होते है। ऐसे में एक प्यासे कौवे को बहुत ढूँढने पर एक पानी का घड़ा मिलता है पर उसमें भी पानी कुछ कम था। यह देखकर उस बुद्धिमान कौवे को एक विचार आता है की क्यों न घड़े में कुछ कंकड़-पत्थर डाले जाये जिससे पानी ऊपर आ जाये और वह अपनी प्यास बुझा ले। इस प्रकार कुछ देर तक परिश्रम करने के बाद जब घड़े का पानी ऊपर आ जाता है तब वह बुद्धिमान कौवा उसे पीकर अपनी प्यास बुझा लेता है।

Naach Mor Ka Sabko Bhata
Naach Mor Ka Sabko Bhata | नाच मोर का सबको भाता

Naach Mor Ka Sabko Bhata : बारिश के मौसम में मोर जब अपने सुंदर पंखों को फैलाकर नाचता है तब यह दृश्य देखने वालों के मन को मोह लेता है, बालगीत ‘नाच मोर का सबको भाता’ बच्चों को राष्ट्रीय पक्षी मोर के इसी लुभावने नृत्य के बारे में अवगत कराता है। शहरों में जहां मोर का दिखना दुर्लभ हो चला है वही गांव में अभी भी मोर बहुतायत में देखे जा सकते हैं, वहां पर मोर के नृत्य को अक्सर बारिश आने के संकेत के रूप में देखा जाता है।

Titli Udi Ud Jo Chali
Titli Udi Ud Jo Chali | तितली उड़ी उड़ जो चली

Titli Udi Ud Jo Chali : फिल्म ‘सूरज’ (1966) का गीत ‘तितली उड़ी उड़ जो चली’ एक तितली के बारे में कहा गया बहुत ही सुंदर और मनभावन गीत है। गीतकार शैलेंद्र द्वारा लिखे गए इस गीत को संगीतकार शंकर जयकिशन ने संगीतबद्ध किया है तथा गायिका शारदा ने इस गीत को अपनी आवाज से सजाया है।अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्रियों वैजयंती माला व मुमताज पर फिल्माया गया यह गीत वास्तव में बहुत ही जीवंत बन पड़ा है, एक तितली को केंद्र में रखकर लिखा गया यह गीत तितली के मन की इच्छाओं को नारी मन की इच्छाओं से जोड़कर प्रस्तुत करता है।

Nani Teri Morni Ko Lyrics
Nani Teri Morni Ko | नानी तेरी मोरनी को

Nani Teri Morni Ko : सन 1960 में प्रदर्शित फिल्म ‘मासूम’ का बालगीत ‘नानी तेरी मोरनी को’ एक बहुत ही प्रसिद्ध व पुराना बालगीत है जिसे सभी बच्चे आज के समय में भी उतने ही उत्साह से सुनना व गाना पसंद करते हैं। गीतकार शैलेंद्र द्वारा लिखे गए इस गीत को संगीतकार हेमंत कुमार ने संगीतबद्ध किया है तथा गायिका रानू मुखर्जी ने इसे गाया है। यह बालगीत एक छोटी बच्ची का अपनी नानी के साथ वार्तालाप है जिसमें वह किसी बात पर रूठी हुई अपनी नानी को मनाने की कोशिश कर रही है।

Kukdu Ku Bhai Kukdu Ku
Kukdu Ku Bhai Kukdu Ku | कुकड़ू कु भई कुकड़ू कु

Kukdu Ku Bhai Kukdu Ku : बालगीत ‘कुकड़ू कु भई कुकड़ू कु’ छोटे बच्चों को मुर्गे की बांग के महत्व को बताता है और उन्हें सुबह सवेरे उठने को प्रेरित करता है, बाल गीत की पंक्तियां बच्चों को समझाती हैं कि कैसे मुर्गा सुबह सवेरे उठकर सबको आवाज देकर उठा रहा है और आलस छोड़कर अपनी दिनचर्या शुरू करने के लिए कह रहा है। यह बाल गीत बच्चों को यह जानने के लिए भी प्रेरित करता है कि कैसे मुर्गे अपने शरीर की बनावट तथा उसमें मौजूद जैविक घड़ी यानी सर्केडियन क्लॉक के कारण सुबह होने का सटीक अंदाजा लगा लेते हैं जिसके साथ सुबह सवेरे होने वाली तेज हार्मोनल एक्टिविटीज उन्हें तेजी से बांग देने को उत्सुक करती हैं।

Titli Rani
Titli Rani | तितली रानी

Titli Rani : तितली की नैसर्गिक सुंदरता को दर्शाता बालगीत ‘तितली रानी’ बच्चों को तितली की अनुपम व अनूठी सुंदरता से अवगत कराने का एक अच्छा माध्यम है।। किसी बगीचे में खिले हुए सुंदर रंग-बिरंगे फूलों के आसपास उड़ती हुई उतनी ही सुंदर तितलियां किसी के भी मन को मोह लेती हैं, अपनी इसी सुंदरता के कारण ही तितलियाँ छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक को बहुत प्रिय होती हैं।

Chun Chun Karti Aai Chidiya
Chun Chun Karti Aai Chidiya | चुन चुन करती आई चिड़िया

Chun Chun Karti Aai Chidiya : फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ का गीत ‘चुन चुन करती आई चिड़िया’ मूल रूप से एक बालगीत है जिसमें एक बच्चे को विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं की भाव भंगिमा द्वारा बहलाने व प्रसन्न करने का सार्थक प्रयास किया गया है। सन 1957 में प्रदर्शित इस फिल्म के इस बाल गीत के गीतकार हसरत जयपुरी व संगीतकार दत्ताराम वाडकर थे तथा उस जमाने के सुप्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी ने इस गीत को गाया था।

Titli
Titli | तितली

Titli : बालगीत ‘तितली' बच्चों को इस संसार के सबसे सुंदर कीट तितली के बारे में बताता है की कैसे सुबह-सुबह के वक्त वह फूलों के आस पास मंडराती रहती है और अपने बेहद मनमोहक रंग बिरंगे पंखो की छटा से हर देखने वाले के मन को लुभाती रहती हैं। तितलियाँ लगभग हर रंग में पाई जाती है और हम सबमे से ज्यादातर लोग अपने बचपन से ही तितलियों के पीछे भागते-भागते और उनकी कहानी को सुनते बड़े हुए हैं। छोटे छोटे बच्चे जब तितली की तरह रंग बिरंगे परिधानों में सजे इधर-उधर दौड़ लगाते है तो अपने आसपास एक ऐसा वातावरण बना देते है की जिसे देखकर सबका मन मोह उठता है।

Nani Maa Ne Tota Pala
Nani Maa Ne Tota Pala | नानी माँ ने तोता पाला

Nani Maa Ne Tota Pala : बालगीत ‘नानी माँ ने तोता पाला’ में नानी माँ का तोते के साथ लगाव दिखाया गया है कि किस तरह से तोता पूरा दिन नानी माँ को सताता है और नानी माँ भी उसकी सारी शरारतों को नज़र अंदाज़ करके सारा दिन उसकी शैतानियों को माफ़ करती रहती है। आगे बताया गया है की किस तरह तोता अपना नाम बता कर सबको खुश कर देता है और अपना नाम बड़े ही प्यार से मिट्ठू बताता है। पिंजरे में सारा दिन मस्ती करते हुए वह नटखट तोता इधर से उधर भागता रहता है जो सभी बच्चों को बहुत ही प्यारा लगता है।

'पक्षियों के बालगीत' पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर : पक्षियों के बालगीत बच्चों को पक्षियों की अनेको जानकारियों से अवगत कराते हैं, इन गीतों में बड़े ही सरल व अनोखे ढंग से पक्षियों की ढेरो जानकारियों को पंक्तियों में बड़े ही रोचक तरीके से पिरोया जाता है जो बच्चो के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व आकर्षक जानकारी मानी जाती है।

उत्तर : पक्षियों के बालगीत पक्षियों की आनेको छोटी –छोटी आदतों, रहने के तरीको, उनके विभिन्न प्रकार, उनके रहने के स्थानों आदि से बच्चों व बड़ो को अवगत कराते है इन बालगीतों को सुन कर बच्चें पक्षियों की विभिन्न आदतों से अवगत हो जाते है जिससे पक्षियों के महुष्य की भाषा ना समझ पाने और ना बोल पाने के बावज़ूद भी बच्चे उनकी आदतों को समझने में सक्षम हो जाते है जिससे पक्षियों व बच्चों के बीच एक महत्वपूर्ण व मजबूत कड़ी बन जाती हैं।

उत्तर : पक्षी हमारे संसार का एक अभिन्न हिस्सा हैं पेड़ो की डालो पर बैठे पक्षी बड़े ही मनमोहक लगते है और इन्हें देख कर छोटे बच्चे भी बहुत उत्साहित होते है वे अक्सर असमान में उड़ रहे पक्षियों को लेकर भिन्न- भिन्न सवाल पूछते है जिसको ध्यान में रख कर पक्षियों के बालगीत बनाये जाते है इन बालगीतों के सहारे बच्चों को पक्षियों से संभंधित प्रश्नों को समझाना बहुत ही आसान हो जाता है क्योंकि बच्चे इन बालगीतों को बहुत ही उत्साहित होकर सुनते व याद करते हैं।

उत्तर : पक्षियों के बालगीत बच्चों को पक्षियों से संबंधित सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान करते हैं, छोटे बच्चों के मन में आसमान में उड़ते पक्षियों को देख अनेकों जिज्ञासाए उत्पन्न होती हैं जिनका समाधान तभी हो सकता है जब उन्हें उनके प्रश्नों का जवाब मिल जाये इसलिए उन सभी प्रश्नों को ध्यान में रख कर पक्षियों के बालगीत बनाए जाते है जिससे छोटे बच्चे बड़ी ही आसानी से उन्हें समझ सके और याद कर सके।

उत्तर : 

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